एक दिन आपका में अमिता मराठे की कहानी
स्टेशन पर भीड़ बढ़ती जा रही थी ।रवि भी गाड़ी आने का समय देखकर ऑफिस से छुट्टी लेकर स्टेशन पहुँच गया था। रवि ऑफिस जाने के लिए तैय्यार था कि अचानक डोअर बेल बजी थी।कुरियर वाला था ।लिफाफा हाथ मे लेते ही वह चौंक गया था ।पापा का मसेज था कि हम कल चार बजे तक पहुंच रहे है ।रवि ने मसेज कितनी बार पढा़ होगा ।उसे अपनी आँखो पर विश्वास ही नही हो रहा था । उसने सीमा को आवाज देकर चिट्ठी उसे थमा दी थी ।सीमा तो पढते ही उछलने लगी।उसे समझ नहीं रहा था कि खुशी कैसे प्रगट करूं।रवि सोच रहा था नादान है ।पापा के तेवर इसे मालूम नहीं है ।अम्मा को तो समझा सकती है पापा को नही ।
सीमा सोच रही थी शादी के दो साल बाद मुझे मेरे मम्मी पापा मिल रहे है ।यह अवसर मुझे भगवान् ने सौगात के रूप मे दिया है ।वह तो खुशी से गृह सज्जा मे तथा रसोई घर कििेोेेी साफ-सफाई व सामान आदि जुटाने मे लग गई थी ।
रवि भीड से हटकर बेंच पर बैठ गया ।सी ए की परीक्षा के समय रवि का सीमा से परिचय हुआ था ।वह भी सी ए कर रही थी।सब कुछ ठीक था।पापा अपनी पसन्द की बहू चाहते थे ।अम्मा तो मान गयी थी ।किन्तु पापा ने तो गुस्से मे मुझे साफ कह दिया था कि अन्तर्जातीय विवाह करेगा तो अलग घर बना लो ।घर मे तेरा कोई हिस्सा नहीं होगा।मैंने उनके गुस्से का आदर किया ।दीदी ने अम्मा ने कहा अजी एकलोते बेटे को क्यों अलग करना चाहते हो ।मान जाओ ।सभी कोशिशे नाकाम रही थी ।उसी समय रिजल्ट आया रवि पास भी हुआ और उसे दूसरे शहर मे जाॅब भी लग गया था ।सीमा भी सफलता से आगे बढ़ रही थी। वह एक सौम्य नम्र स्वभाव की लडकी थी।सम्पन्न सुशिक्षित सिंधी परिवार की थी ।मैंने भी घर छोड़कर सीमा के साथ कोर्ट मॅरेज करने का तय कर लिया था ।अम्मा की गोद मे मुंह छिपाकर आखरी बार रो पड़ा था ।मां ने बस इतना कहा था बेटा समय पर सब ठीक हो जायेगा चिन्ता मत करना ।
ट्रेन की आवाज तथा यात्रियों की हलचल ने रवि के विचार वेग को भी ब्रेक लग गया था ।रवि तेजी से डिब्बे झांकने लगा।एस थ्री मे से पापा को उतरते देखा तेजी से सहारा दिया।सामान उठाने पूर्व रवि ने अम्मा पापा के पैर छूऐ ।फिर कार तक लाते हुए दोनो की ओर प्यार और भय मिश्रित नजरो से देख रहा था।
कार तेज गति से घर की ओर जा रही थी ।पापा मौन थे।घर पहुंचने पर देखा सीमा फ्लावर बन्च लेकर खड़ी थी।उसने मुस्कराते हुए दोनो का स्वागत किया।अम्मा को हाथ का सहारा देकर अन्दर ले आई थी ।घर की सफाई सजावट देखकर दोनो ही प्रसन्न हुए थे।किचन तथा बेडरूम रूम दिखाकर सीमा अम्मा को बैठक मे ले आई थी।उसने सुना अम्मा कह रही थी बहू बहुत सुंदर है घर।तुरन्त सीमा अम्मा के ऐसे गले मिली जैसे बहुत समय से बिछुडी हुई मां बेटी प्रेम से मिल रही हो।रवि खुश था।पापा चुप थे।
डायनिंग टेबल पर करिने से भोजन लगा दिया था ।सभी खाना खाने बैठे ।भोजन का स्वाद लेते तारीफ करते पापा ने अपनी चुप्पी तोड़ी थी।कहने लगे बेटा इंसान ही गलती कर उसे सुधार सकता है।ऐसा मुझे महसूस हुआ इसलिए तुमसे माफी मांगने चले आये हैं।रवि ने पापा का हाथ पकड़कर कहा ऐसा न कहो हम दोनो को हमारे जीवन की असली खुशी मिल गई है ।अब हम आपको नहीं जाने देंगे ।सीमा ने दृढता के साथ कहा इस खुशी को कभी खोना नहीं चाहूंगी ।
अमिता मराठे
इन्दौर
स्व रचित
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