अवध के मुहावरे-नीतू शर्मा

अवध क्षेत्र में बोली जाने वाली प्रमुख लोकोक्तिया


अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत
अवसर निकल जाने पर पछताना व्यर्थ है।
वाक्य- परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए परिश्रम पहले से ही करना चाहिए था अब पछताय होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत।


अकेला चना भाड़ नही फोड़ सकता
अकेला व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता।
वाक्य- एक सच्चा जन नेता पूरे देश से भ्रष्टाचार को कैसे दूर कर सकता है,क्योंकि अकेला चना भाड़ नही फोड़ सकता।


कंगाली में आटा गीला
मुसीबत में और मुसीबत आ पड़ना।
वाक्य-बड़ी मुश्किल से एक एक पाई जोड़कर स्कूटर लिया था कल रात चोरी हो गया।इसे कहते हैं कंगाली में आटा गीला।


एक अनार सौ बीमार
आवश्यकता अधिक,वस्तु कम
वाक्य-इस दफ्तर में लिपिक का एक ही पद है,परंतु उम्मीदवार हैं सौ।इसे कहते हैं एक अनार सौ बीमार।


नाच न जाने आंगन टेढ़ा
काम न आने पर बहाने करना।
वाक्य-सोनाली ने गीत गाया पर सुर सही नही लगाए तो दोष तबला वादक को देने लगी।इसे कहते हैं नाच न जाने आंगन टेढ़ा।


चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाये।
बहुत कंजूस होना।
वाक्य-मोहन बीमार होने पर भी डॉक्टर के पास नही जाना चाहता ये तो वही बात हुई चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाये।


थोथा चना बाजे घना
अयोग्य व्यक्ति अपनी अधिक प्रशंसा करता है।
वाक्य-मोहन योग्य नही है पर सदैव अपने काम की प्रशंसा करता है उस पर यही उक्ति चरितार्थ होती है थोथा चना बाजे घना।


पांचों उंगलियां बराबर नही होती
सभी वस्तुएं समान नही होती
वाक्य-रावण के भाई विभीषण को देखकर कहना पड़ता है कि पांचों उंगलियां बराबर नही होती।


मुह में राम बगल में छुरी
ऊपर से मित्रता अंदर से कपट
वाक्य -मदन तुम्हारा अच्छा मित्र नही है,उसकी मित्रता तो एक दिखावा है।वह तो मुँह में राम और बगल में छुरी रखता है।


कोयले की दलाली में मुँह काला
बुरा काम बदनामी का कारण बन जाता है।
वाक्य -रमेश एक भ्रष्ट अधिकारी है उससे दोस्ती करना ठीक नहीं क्योंकि कोयले की दलाली में ही हाथ काले होते हैं।


धोभी का कुत्ता न घर का न घाट का
कहीं का भी न रहना।
वाक्य- रमेश ने दूसरी नौकरी के लालच में लगी लगाई नौकरी छोड़  दी और वो नौकरी किसी और को मिल गयी।इसे कहते हैं कि धोभी का कुत्ता न घर का न घाट का।


जिसकी लाठी उसी की भैंस
ताकतवर से सभी डरते हैं।
वाक्य- सरपंच ने जिसको चाहा उसी को बीज दिये बाकी किसान कुछ नही कर सके।इसे कहते हैं जिसकी लाठी उसी की भैंस।


लातों के भूत बातों से नहीं मानते
दुष्ट व्यक्ति समझाने से नहीं मानते।
जब तक इस चोर की पिटाई नहीं होगी तब तक ये सच नहीं उगलेगा क्योंकि लातों के भूत बातों से नहीं मानते।


मान न मान मैं तेरा मेहमान
जान बूझकर गले पड़ना।
वाक्य- मैं तो सोहन को जानता भी नहीं है और वो रोज़ मुझसे कार मांगता है ये तो वही बात हुई मान न मान मैं तेरा मेहमान।


नौ नगद न तेरह उधार
अधिक मूल्य पर उधार बेचने से कम मूल्य पर नकद बेचना अच्छा है।
वाक्य- सभी दुकानदार कम मूल्य  पर नकद बेचना पसंद करते हैं क्योंकि वो जानते हैं कि नौ नकद न तेरह उधार।


जैसी करनी वैसी भरनी
जैसा कार्य वैसा परिणाम
वाक्य- बुरी आदतें डालोगे तो उसका परिणाम भी भुगतोगे।
जानते नही,जैसी करनी वैसी भरनी।


खोदा पहाड़ निकली चुहिया
प्रयत्न अधिक लाभ कम।
वाक्य- उसने लाखों रुपये लगाकर व्यापार शुरू किया पर मुनाफा हुआ पांच सौ रुपये।इसे कहते हैं खोदा पहाड़ निकली चुहिया।


मुहावरे


अंगूठा दिखाना
    स्पष्ट इंकार करना।
वाक्य- जब मैंने उससे सहायता मांगी तो उसने अंगूठा दिखा दिया।


अकल पर पत्थर पड़ना
  बुद्धि से काम न लेना।
  वाक्य- परीक्षा आने से पहले पढ़ाई नही की तब क्या अकल पर पत्थर पड़े थे।


आग बबूला होना
 गुस्से से भर जाना।
वाक्य- दफ्तर में देर से आने पर अफसर मोहन पर आग बबूला हो गया।


ईंट का जवाब पत्थर से देना
दुष्ट से दुष्टता का व्यवहार करना।
वाक्य- पांडव सेना ने कौरवों की सेना को ईंट का जवाब पत्थर से दिया।


उल्टी गंगा बहाना
 नियम विरुद्ध कार्य करना।
वाक्य- तुम गरीब लोगों से चंदा मांगकर उल्टी गंगा क्यों बहा रहे हो।


अंधे की लाठी
 असहाय व्यक्ति का एकमात्र सहारा।
वाक्य- मोहन अपने वृद्ध माता पिता के लिए अंधे की लाठी है। 


घड़ों पानी पड़ना
 शर्मिंदा होना।
वाक्य - बगीचे से फूल तोड़ते पकड़े जाने पर समीर पर घड़ों पानी पड़ गया।


टस से मस न होना
 जरा भी न हटना।
वाक्य- लड़के वाले अपनी दहेज मांग से जरा भी टस से मस न हुए।


छठी का दूध याद आना
कठिनाई अनुभव होना।
वाक्य- भारत के सैनिकों से टक्कर लेने पर पाकिस्तान के सैनिकों को छठी का दूध याद आ गया।


दांतो तले उंगली दबाना
 हैरान होना।
वाक्य - ताजमहल को देखकर विदेशी दांतों तले उंगली दबा लेते हैं।


घी के दिये जलाना
 खुशी मानना।
 वाक्य - श्रीराम के चौदह वर्ष बाद अयोध्या आने पर अयोध्यावासियों ने घी के दिये जलाए।


गुड़ गोबर करना
 बने बनाये काम को बिगड़ना।
वाक्य- बारिश हो जाने से पिकनिक का कार्यक्रम गुड़ गोबर हो गया।


खाक छानना
 मारा मारा फिरना।
वाक्य- बेकार होने के कारण आज कल वह खाक छानता फिर रहा है।


आसमान सर पे उठाना
बहुत शोर करना।
वाक्य- अध्यापक के न होने से कक्षा में छात्रों ने आसमान सर पे उठा रखा है।



गिरगिट की तरह रंग बदलना
 सिद्धान्त हीन होना।
वाक्य- आजकल तो नेता लोग गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं।


अपने पावों पर आप कुल्हाड़ी मारना
अपना नुकसान खुद करना 
वाक्य- तुमने ये नौकरी छोड़ कर अपने पावों पर आप कुल्हाड़ी मारी है।


मुँह बंद कर देना
 चुप करा देना।
वाक्य- उसने रिश्वत देकर दरोगा का मुंह बंद कर दिया।


नाकों चने चबाना
 बहुत तंग करना।
वाक्य- शिवाजी ने मुगलों को नाकों चने चबवा दिए।


मुँह ताकना
 दूसरों पर निर्भर रहना।
वाक्य- वीर पुरुष स्वयं परिश्रम करते हैं ,किसी का मुंह नही ताकते।


उफ्फ तक न करना
चुपचाप कष्ट सहन करना।
वाक्य - अंग्रेजों द्वारा यातना दिए जाने पर भी क्रांतिकारी उफ्फ तक नहीं करते थे।


पौ फटना
 दिन निकलना 
वाक्य- पौ फटते ही पक्षी कलरव करने लगते हैं।


बाज़ न आना
 अपनी आदत न छोड़ना।
वाक्य - इस बार फिर तुम परीक्षा में नकल करते पकड़े गए ,लगता है कि तुम अपनी आदत से बाज़ नही आओगे।


तांता बंधा रहना
 आने जाने का क्रम जारी रहना।
वाक्य- जब से वह मंत्री बना है,उसके घर मिलने वालों का तांता बंधा रहता है।


   डॉ नीतू शर्मा
 प्रोफेसर हिंदी



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