बेलजह-रीता

हो तो जाएं पहले उनसे वाबस्ता
फिर कोई बात करें
 बरबाद ए मुकद्दर की
तहरीर पर
कैसे चाँद और सितारों की बात करें
करते हैं जो
कत्ल ए दिल सरेआम
फिर कैसे कोई बात करें
 और दरियादिली तो देखिये उनकी
मझधार में ही वो
दासता ए हकीकत ,
 बया करे
 बेबजह उठाते है जो
तूफा
कैसे दिल ए कस्ती को
पार करें
दफन कर लिया है
जुस्तजू को अपनीए रीता
अब ख़ुदा ही कोई
इंतजाम करें


डॉ रीता शर्मा विदिशा



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