बेवफा-अंजू

आज जमाना ही बेवफा निकला ।
चलते-चलते ठहर सा गया लगता ।
बेवफाई का आलम यह है ।
किलोग एक दूसरे की कुशलता ।
पूछना भूल गए हैं ।
व्यस्त जीवन में विराम चिन्ह लग गया है।
कोयल जो कूकती थी आम के वृक्ष पर।
बेवफा उसकी मिठास भी सुनाई नहीं देती ।
प्रेमी जब शाम को थक कर लौटता था।
तो बरबस प्रेम उमड़ पड़ता था।
अब खाता और सोता है ।
वह भी बेवफा सा लगता है ।
जिंदगी जब करवट लेती है ।
अचंभित कर जाती है ।
सागर की गहराई में भी ।
शून्यता नजर आती है ।
सोचा नहीं था -----------?
सर्दी गर्मी बरसात की ।
रौनक छिन जाएगी ।
रोशनी की जगह तम का ।
आवरण छा जाएगा ।
पटरी पर दौड़ते दौड़ते ।
रथ के पहिये थम जायेगे।
यू वीरानी सी डरावनी रात्रि सतायेगी।


प्रेमी प्रेमिका के मिलन में ग्रहण लग जाएगा ।
शादी विवाह में बारातियों की।
रौनक चली जाएगी ।
इतना बेवफा समय आएगा 
दिल में खौफ बना जाएगा ।
कब, क्या,कैसा होगा जीवन चक्र ।
चिंता की रेखा खींच जाएगा ।
सपनों की उड़ान में।
बिरहा का गीत लिख जाएगा।
समय इतना बेवफा आऐगा।


अंजू पुरवार
चैतन्यमार्ग, मीरापुर, प्रयागराज।


 



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