बच्चों के भारी बस्ते होने का नुकसान
यह बात पूरी तरह से सत्य है कि आजकल बच्चों के बस्ते उनकी उम्र के हिसाब से बहुत भारी हो गए हैं सभी स्कूलों में किताबों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिसके कारण उनकी कॉपियां का भार भी बढ़ जाता है और कॉपियां और किताबें मिलाकर और कुछ अन्य सामान भी हो जाता है जैसे लंच बॉक्स पानी की बोतल जो की जरूरत का सामान है इन सबको मिलाकर बस्ता बहुत भारी हो जाता है जिसे उठाकर स्कूल ले जाना बच्चों की मजबूरी बन गई है लेकिन इस मजबूरी के बहुत नुकसान हैं बच्चों के कंधो पर उनकी उम्र के हिसाब से ज्यादा वजन हो जाता है जिससे उनकी कमर में भार पड़ने के कारण दर्द होने लगता है और देखने में आया है कि कई बच्चों को रीड की हड्डी की भी परेशानी हो गई है क्योंकि बैग को लेकर बस गाड़ी में चढ़ना उतरना बहुत परेशानी करता है जिससे कमर में झटके लगने से उनकी कमर में दर्द पैदा हो जाता है और यह दर्द बढ़ते बढ़ते ज्यादा परेशानी पैदा कर देता है शुरुआत में तो बच्चे बताते नहीं लेकिन जब परेशानी ज्यादा हो जाती है तब वह माता-पिता से बताते हैं और डॉक्टर को दिखाने से पता चलता है कि ज्यादा वजन कमर पर लाद ने की वजह से उनकी रीड की हड्डी और मांसपेशियों पर जोर पड़ता है और उन्हें परेशानी होती है यदि ज्यादा किताबें होने से ज्ञान ज्यादा बढ़ता है तो वजन ज्यादा हो जाने से परेशानियां भी उतनी ही बढ़ जाती हैं इसलिए मेरी तो यही सलाह है कि बच्चे को ज्यादातर कार्य है ऑनलाइन कराया जाए या उन्हें ज्यादातर नॉलेज लेक्चर के जरिए दी जाए जिससे उन्हें ज्यादा सम्मान स्कूल में ना लाना पड़े
के अलावा भी बसते भारी होने से और भी नुकसान हैं जैसे बच्चों की बढ़त कम हो जाना बस्ते भारी होने की वजह से थकान हो जाना और उसकी वजह से बच्चे पढ़ाई सही से नहीं कर पाते हैं और वजन कमर पर पड़ने से बच्चों के पेट भी खराब हो जाते हैं बच्चे थक कर सो जाते हैं ना खाना समय से खा पाते हैं और ना ही पढ़ाई समय से कर पाते हैं और वजन बढ़ने से उनके पैरों में भी दर्द होने लगता है जिससे वह खेलने कूदने में भी असमर्थ रहते हैं वैसे तो और भी बहुत परेशानी हैं लेकिन लेख के अनुसार इतना ही काफी है
धन्यवाद
संगीता शर्मा, मेरठ
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