बिरहन-कंचन

यह बात उस समय की है, जब इनका तबादला छत्तीसगढ़ में हुआ था। हमारी शादी को बस 6 महीने ही हुए थे, कि इनका तबादला छत्तीसगढ़ में हो गया, खैर पुलिस वालों का तो यह लगा ही रहता है
हमारी नई-नई शादी थी मैं बहुत बेचैन हो गई थी, कि मैं इतने बड़े परिवार में कैसे रहूंगी इनके बिना और एक तो वहां क्षेत्र पूरा नक्सलवाद एरिया है तो और भी डर लग रहा था फिर ऊपर से मोहल्ले वाले अलग कोई कुछ बोलता तो कोई कुछ, अरे बेचारी अभी तो शादी हुई है कैसे जिएगी बिरहन बनकर पति के बिना यह सब सुनकर और खराब लगता था फिर मेरे पति ने मुझे समझाया माना कि यह हमारे वियोग के दिन है पर जल्दी ही मैं नागपुर में अपना तबादला करवा लूंगा यह दूरी हमारे रिश्ते में और विश्वास और प्रेम से भर देगी। वह क्षेत्र अच्छा नहीं है इसलिए मैं तुमको नहीं ले जा रहा हूं तुम मोहल्ले वालों की बात पर जरा भी ध्यान मत दो और खुशी-खुशी मुझे अपना कर्तव्य पूरा करने दो। उनकी यह बात सुनकर मुझे हिम्मत आई और वह छत्तीसगढ़ चले गए 1 साल उन्होंने वहां ड्यूटी की बीच-बीच में वे आते रहते थे। फिर भी लोगों की जुबान नहीं पकड़ सकते मोहल्ले की आरती कहती रहती थी बेचारी पति के बिना कैसे जीती होगी। खैर वह दिन भी बीत गए और अब हम साथ हैं


कंचन जयसवाल
नागपुर महाराष्ट्र



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