रुचि बचपन से रवि को जानती थी।दोनो की उम्र में भी 6 से 7 साल का अंतर था पर अदभुत लगाव था रुचि का रवि में।रवि भी हमेशा रुचि को मैडम कहकर बुलाया करता था।रवि रुचि का दूर का रिश्तेदार था और दोनों की मुलाकात सिर्फ शादी समारोह में ही हुआ करती थी।रुचि अब जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी थी,जो बचपन की शरारत थी रवि के साथ वो अब अजीब चाहत में बदल गई थी।
रुचि को हमेशा लगता की रवि की बड़ी बड़ी आंखें हमेशा कुछ कहती है,और जब एक बार फिर शादी समारोह में मिले तो अकेले में रवि ने ले जाकर रुचि का हाथ चूम लिया और एक मोहर लगा दी प्यार पर,पूरी रात रुचि बैचैन रही वो रवि से बहुत सारी बाते करना चाहती थी। पर सुबह रवि निकल गया था अपने घर के लिए।
कुछ महीनों बाद फिर उनकी मुलाकात हुई और अब तो रुचि किसी भी जरिए से शादी में रवि के पास पहुंच जाती और बेमतलब की ढेरो बाते कर डालती। पर अपने दिल की बातें दोनो आंखो से ही कर लेते थे।इसके बाद रवि का रुचि के घर भी आना जाना हो गया था क्योंकि रुचि के पापा से रवि की खूब पटती थी।हर वक्त रुचि सोचती काश रवि से बात हो,किसी की अपने बड़ों से दिल की बात कहने को हिम्मत नहीं हुईं।
कुछ महीनों बाद रवि अपनी शादी का कार्ड लेकर रुचि के घर आया और बैमन से कार्ड देकर रुचि की और देखकर बोला शादी में जरूर आना।रुचि जो सिर्फ विरह के बोझ से दबी हुई थी वो आज टूट गई थी।रुचि भी रवि की दुल्हन को देखने के लिए शादी में गई और आंखो में अश्रु धारा लिए घर आ गई और पूरी रात रोती रही।हमेशा के विरह को अपने दिल में दफन किए।
रुचि की भी शादी हो गई और अब भी जब कभी मिलते है दोनो की आंखो में वो विरह के अनगिनत सवाल नजर आते है जिनका नियति के अलावा किसी के पास कोई जवाब नहीं है।
प्रियंका गौड़ जयपुर
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