बॉंवरी-रेखा

एक दिन आपका में रेखा की कविता


ओ बाॅवरीऽऽ, ओ साॅवरीऽऽ,
ओ बिरहावरीऽऽ


मेहन्दीं हाथ में रचा - रचा
कुमकुम मांग में सजा- सजा
मृदुल मुस्कान की तू ह्रदयावरी
ओ बाॅवरी ऽऽ ओ  साॅवरीऽऽऽ----


रिमझिम- रिमझिम गिरे बूंद- बूँद
जैसे पाॅयल की रुन-झून, रुन-झुन
भंवरों सी गुन-गुन,गुन-गुन,
साजन की धुन- सुन, धुन- सुन
ओ बाॅवरीऽऽऽ, ओ सावरीऽऽ---


पेड़ो में घूम-घूम,पत्तों को चूम-चूम
झूलों में झूल-झूल,
हरियालियों में झूंम- झूंम
ये सरगम सी प्रेमधुन सुन-सुन
ये। प्रेमियों की रंगीन गोतावरीऽऽऽ
ओ ईन्द्रावरीऽऽओ प्रेमावरीऽ
ओ बिरहावरीऽऽ


ईन्दधनुष की जयमाल,
सावन में जैसे जयमाल
सिन्दूरी सुन्दरी की तू सोलहश्रृंगार
बालि ऊमर मद- मस्ती में झूमें
सात फेरो की तू संगीनी गीतावरी
नाचे- गरबा की तू कान्हावरीऽऽऽ
ओ साँवरियावरीऽऽओ बाॅसुरीवरीऽऽ ओ बिरहावरीऽऽ


ओ बाॅवरीऽऽ,ओ साॅवरीऽऽऽ
ओ बिरहावरीऽऽ


 


रेखा तिवारी बिलासपुर



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