दिल ही तो है-इंदु

आँख खुलने से पहले ही बिस्तर के बगल में रखे टेबल पर दो कप चाय के साथ-साथ मैसेज बॉक्स में मैसेज आना और तान्या की आँख खुलना मानो दिनचर्या में शामिल था...!
जब से राहुल ने उसका हाथ थामा तब से सुबह की चाय बनाने के साथ ही उसे रसोई घर से मैसेज भी टाइप करके भेजता " Good Morning Jan"  मैसेज...प्यारा सा इमोज़ी, दो चाय की प्याली और दो गुलाब की ताज़ी कलियाँ "आहा क्या कहने राहुल आप तो मेरा दिन बना देते हैं दिन भर मैं खिली खिली रहती हूँ.."
" I love you Jan सदा ऐसे ही रहना " तान्या का खूबसूरत गुलाबी मुखड़ा और गुलाबी हो जाता ! पलंग पर बैठी बैठी तान्या प्यार भरी आँखों से अपलक राहुल को निहारती रहती.! राहुल उसके करीब आकर उसके माथे को और दोनों आँखों को इतने प्यार से चुनकर उसे बाहों में भरता तो तान्या अपने आप को किसी सौभाग्यशाली महारानी से कम नहीं समझती !
सोंचने लगती कहाँ अकेली अभागिन सी बेरंग जीवन जी रही थी. माँ - पापा  के गुजर जाने के बाद अकेली ही तो थी! पढ़ाई मे लगन होने के कारण बैंक अधिकारी की नौकरी मिलने में कोई परेशानी नहीं हुई ब्रह्मण होने के बाद भी उच्च पद पर आसीन, बैंक ने सारी सुविधा दे रखी थी रोटी, कपड़ा और मकान से अधिक की तो आवश्यकता ही नहीं, उसे क्योंकि सजने, संवरने और गहना जेवर से कोई मतलब नहीं । ऑफिस जाना और आना प्रतिदिन की दिनचर्या, बीच बीच में किसी अनाथ आश्रम में या अस्पताल मे बीमार लोगों की सेवा तो कभी रक्तदान करने चली जाती थी lअपने मित्रों के कहने पर फ़ेस बुक कभी कभी कविता कहानी लिख दिया करती बस उसका जीवन कट रहा था। अपने जीवन से उसे कोई शिकायत भी नहीं थी, एक दिन फ़ेस बुक पर कुछ पोस्ट कर रही थी तभी मैसेंजर मे राहुल का मैसेज आया उसने अनदेखा कर दिया, फ़िर लगतार आने लगा उसने फिर भी ध्यान नहीं दिया, एक दिन मैसेंजर से ही वीडियो कॉल आ गया उसने काटने के लिए उँगली बढ़ाई तो रिसीव हो गया और वो दोनों आमने - सामने  एकाएक तान्या सकपका गई पहली बार किसी को इस तरह सामने देख... " जी कहिये क्या कारण है आपके फोन करने का..." वो बोली
राहुल ने कहा" मैडम मैं बहुत दिनों से आपको फालो कर रहा हूँ मैं आपका बहुत बड़ा प्रशंसक हूँ..."
मैं अंधे बच्चों का विद्यालय चलाता हूं और चाहता हूँ कि आप एक बार आने की कृपा करें... उसने बड़े उदार भाव से कहा तान्या एक पल के लिए ख़ुश हुई क्योंकि उसे बच्चों को पढ़ाना बहुत पसंद था किंतु दूसरे ही पल सहम गई क्योंकि संस्था की आड़ मे न जाने क्या क्या गोरख धंधा आजकल जो रहा है l वो आए दिन अखबार और TV मे पढ़ती देखती है l उसने बड़ी सफाई से टाल दिया " सॉरी सर मैं नहीं आ सकती समय नहीं है l छुट्टी मिलना सम्भव नहीं "! और फोन काट दिया...फिर एक दिन शाम को मैसेज आया " मैडम कल रविवार है आपसे निवेदन है कि आप एक बार हमारे बच्चों से मिलने आयें अगर आपको कुछ गलत लगे तो फिर कभी मत आइएगा मैं कल आपको लेने आऊंगा....
बातों बातों मे उसने तान्या का पता जान लिया था l और अपना नंबर भी सेंड कर दिया l
दूसरे दिन रविवार था राहुल ठीक समय पर अपनी कार लेकर चला आया l ईश्वर का नाम लेकर तान्या ने फोन से कहा सर आज रहने दीजिए बारिश हो रही है, मैं ख़ुद आ जाऊँगी किसी रोज़, किन्तु उसने कहा आज ही आ जाइए वो घर से निकली l लंबा चौड़ा आकर्षक पुरुष सामने खड़ा था.... राहुल मुस्कराते हुए उसने कहा जी मैं ही हूँ और दोनों कार मे बैठ गए राहुल उसके बगल में बैठा था वो थोड़ी सिकुड़ी सी बैठी थी वो बोले जा रहा था तान्या के बारे में जैसी आप दिखती है वैसी ही है, और जाने क्या क्या... दोनों संस्था मे आए रास्ते भर बताते गया वो भी किसी कम्पनी मे जी. एम. है l ईश्वर की कृपा से सब है उसके पास l किन्तु मुझे इनको पढ़ाना पसंद है इसलिए हर शाम काम के बाद यहाँ आता हूं l
उस दिन वो वापस आ गई दूसरे दिन फोन आया मैं लेने आऊँ क्या आपको तान्या बोली वो बैंक से खुद ही आ जाएगी....
सिलसिला आरंभ तान्या पढ़ाती और घर आती अचानक एक दिन राहुल ने तान्या का हाथ पकड़ लिया और बोल पडा तान्या मुझे तुम्हारा कुछ भी नहीं चाहिए बस मैं तुमसे प्यार करता, मैं बेहद अकेला हूं मुझे तुम्हारा साथ चाहिए.! वो अचानक इस तरह की बात से... बिना कुछ बोले घर गई, दूसरे दिन नहीं आई राहुल का फोन भी नहीं उठाया, तो वो ख़ुद चला गया और उसने फिर अपनी तरफ़ से वहीं बात कही, ये भी कहा कि कम से कम आना तो मत छोडो! आखिर तान्या एक दिन राहुल के साथ शादी के बंधन में बंध ही गई...! देखते-देखते पाँच साल निकल गया l बीच - बीच कभी-कभी कोई तान्या को कहता मैडम सर को हमने वर्मा मैडम के साथ देखा वो मुस्करा देती, कोई तान्या मैडम राहुल सर वर्मा मैडम के घर जाते हैं l फिर भी वो मुस्करा देती सब जलते हैं हमारी जोड़ी की तरह या हम जितने खुश रहते हैं उस तरह ये नहीं रहते इसलिए ऐसा कहते हैं... कई दिन तान्या ने भी देखा मिसेज वर्मा उसके आने के पहले आयी और जा रही है वो पूछती तो कहती "कुछ काम था "! एक ने तो यहाँ तक कह दिया मैडम सर वर्मा मैडम के बेड रूम में भी...शटप आज के बाद अगर कुछ बोली आप तो... तान्या घर चली आई उसने राहुल से भी कुछ नहीं कहा...
खाना बनाया दोनों ने खाना खाया और सो गए सुबह  मोबाइल के रिंग होने ने उसकी आँखें खोल दी देखा राहुल का मैसेज... आज राहुल को जल्दी निकलना था इसलिए चाय पीकर नहाने चला गया तभी उसका चार्ज में लगा मोबाइल रिंग करने लगा देखा ये तो मिसेज वर्मा का कॉल है l उसे याद आया राहुल ने एडिट करने को दिया था भूल गई थी कहा था उसने वर्मा मैडम ने कुछ लिख के भेजा है तुम्हारी हिन्दी अच्छी है जरा देख लो, सोचा
देख लूँ जब वो मिसेज वर्मा का भेजा मैसेज निकाली तो अचानक उसकी नजर राहुल के भेजे हुए मैसेज पर चली गई जो वो तान्या के लिए भेजता था ठीक वहीं मैसेज मिसेज वर्मा के लिए क्यों... तान्या की आँखों के आगे अंधेरा छाने लगा वो सोचने लगी कि इसका मतलब जो बाते वो सुनती थी वो सब सच... राहुल आपने उसके साथ तीन बच्चों की माँ आपसे कितनी बड़ी... चार फुट की औरत ऐसा क्या देखा जो मुझे फिर मुझे क्यों....उसकी समझ मे नही आ रहा था जब पूछा तो उसने पहले गुस्सा किया फिर बोला हर दिखने वाली चीज़ सच नहीं होती किन्तु तान्या का विश्वास टूट गया था वो....एक पल भी रुक नहीं पाई फिर अपने उसी फ्लैट में आ गई जहाँ रहती थी...आखिर दिल ही तो है तान्या मैडम जी आ ही जाता है मरद तो मरद होता है न ...अक्सर उसकी बाई बसंती कहती थी, वो डाँटा करती चुप कर वसंती.।


इंदु उपाध्याय पटना


 



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