सूर्य भगवान को छत पर अर्घ्य दे घर लौट रही थी तभी मेरी नजर बड़ी मां पर पड़ी वह मुझे काफी कमजोर दिखाई दे रही थी उन्होंने हाथ के इशारे से मुझे आने का बोला मैं तुरंत बड़ी मां के घर चल दी घर का बटवारा होने के बाद बड़ी मां दीवार के दूसरी तरफ रहती थी । मैंने दिखा बड़ी मां काफी कमजोर हो गई है । क्या हुआ बड़ी मां ? तबीयत ठीक नहीं है क्या ? बड़ी माँ बोली क्या करूं बेटा एक महीना से बुखार उतरने का नाम ही नहीं ले रहा है ।यह लो अमरुद पड़े थे तुझे बहुत पसंद है ना ! ले जा खा लेना । आपने कुछ खाया ?मैंने देखा बड़ी मां का चुल्हा ठंडा पड़ा हुआ था वह पूरा घर बिखरा हुआ पड़ा था । मैं तुरंत सफाई में जुट गई । बड़ी मां मना करती रही पर मैंने पूरा घर साफ किया वह बड़ी मां को दलिया बना कर दी ।तू तो अपनी मां की तरफ बहुत फुर्ती से काम करती है । और सुंदर भी अपनी मां की तरह दिखती है । तेरी मां शादी करके आई तो मोहल्ले में कोई भी इतनी सुंदर नहीं थी अब तो बिचारी बीमारी की वजह से काली पड़ गई ।
घर आई तो मां बोली! सीमा सब्जी काट ले ,नाश्ते में देर हो रही है और कहाँ थी इतनी देर ?मैने माँ के गले में प्यार से हाथ डाल कर कहा मां ! अपने घर में 10 लोगों का खाना बनता है। अभी लोकडाउन की वजह से कोई बाहर नहीं निकल पाता । पूरा देश इस विपदा को झेल रहा है । ऐसे में हमे एक दूसरे की मदद जरूर करनी चाहिए । बड़ी मां बेचारी अकेली रहती है ।अगर बड़ी मां भी अपने साथ घर में रह लेगी तो क्या हो जाएगा ? वह अकेली क्या बनाएगी? क्या खाएगी ? मां गुस्से में बोली आज बड़ी माँ ने तुझे पट्टी पढ़ाया है क्या ? तुझे तो बड़ी माँ से बात करने का मना किया हुआ है फिर तू क्यों उनके घर जाती है ? कभी बड़ी मां ने भी हमको पूछा है क्या? जाने दो ना मां पुरानी बातों को ,आज हमें एकजुट होकर एक दूसरे की मदद करनी चाहिए बड़ी मां ऊपर से सख्त जरूरत है परअंदर से बिल्कुल मोम की तरह है और वह तुझे चाहती भी बहुत है।
हां !तू शायद ठीक करती है ।आज शाम को ही हम दोनों उन्हें अपने घर ले आएंगे ।मुझे सिर्फ उनका कड़वा वचन याद है पर उन्होंने तुम सब बच्चों को पालने में मेरी मदद भी बहुत की थी वह मैं कैसे भूल गई ? मां मुस्कुरा गई थी । मैं सोचने लगी "दिल ही तो है "बदलते हुए कितनी देर लगती है ।
और यह बदलाव सबको कितना अच्छा लग रहा था । पिताजी भी मुस्कुरा रहे थे ।
सीता देवी राठी
कूचबिहार
पश्चिम बंगाल
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