एक दिन आपका
राज की बात कहती हूं मैं दोस्तों
हीरो की परख कोई करता नहीं
ये दुनिया बड़ी नासमझ दोस्तों
जज्बातों को कोई समझता नहीं
आंख से तुम यूँ मोती गिरने ना दो
उनको पलकों की कोर सजा कर रखो
ये दुनिया बड़ी बेरहम दोस्तों
आँसू की कदर कोई करता नहीं
राज की बात -- - - - - - - - -
गर तुमने दिया ,उसको तुम न गिनो
फर्जे दीवार-ए तुमने जहाँ को दिया
देने का सुकूँ देता मन को खुशी
लेने का सुख कोई मिलता नहीं।
राज़ की बात - - - - - -
जो मिला है तुम्हें खुश उसी में रहो
ख्वाहिशों के महल को बढ़ने न दो
दोष ना दो किसी को ये उसकी रजा़
अपने कर्मों का फल ही मिलता यही
राज की बात- - - -- -
अपनों ने हमें अपना समझा नहीं
गैरों से शिकायत अब क्यों करें ?
गैरों का जहर पी सकते हैं ,
अपनों का जहर पिया जाता नहीं।
राज की बात- - - - - - - - - - - - - ।
स्वरचित
आशाजाकड़ (कवयित्री)
9754969496
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