गृहणी को समझो-ममता

 


पति-अरे सुनती हो
पत्नी-जी कहिए
पति-तुम कहती थी न कि आपके पास मेरे लिए वक्त ही नही रहता है आज से लाॅकडाऊन है इक्कीस दिन के लिए अब तुम्हारे लिए समय ही समय है 
पत्नी-ओह नो
पति - क्यो? मेरा घर पर रहना अच्छा नही लगता?
पत्नी- मन ही मन सोचती है अब कोल्हु का बैल बनना पड़ेगा
और धीरे से कहती है -अच्छा ....तो ...लगता ...ही.. है
पति- एक काम करो न आज खीर पुड़ी बना लो बहुत दिन हो गये खाए 
पत्नी-खुशी खुशी जी अभी बनाती हूं साथ मे आलु की सूकी सब्जी भी।
पति-तुम मुझे कितना प्यार करती हो। 
पति-कल से मैं एक लिस्ट बना देता हूँ।
सोमवार-बेसन के चिले,  लहसून की चटनी , कढ़ी ,पूलाव व थोड़ी सी आलू की फालरी
फिर शाम को आलु के परोठे व मक्खन वो भी घर का बना हूआ टमाटर की चटनी ।हो सके तो दूध को उबाल कर रबड़ी बना देना


मंगलवार- इडली सांभर बड़ा. नारियल की चटनी. मटर प्याज का रायता.शाम को दाल का हलवा .बेसन की पकोड़ी और उसकी कढी और सांगरी की सब्जी और सलाद
बुधवार-चावल दाल. मिक्स सब्जी .मलाई कोफ्ता व पापड़ और अंत मे आइसक्रीम
वृहस्पतिवार - मीसी रोटी. रायता .गुलाब जामुन अचार मीर्च  केरिया की सब्जी ।रात को दाल की रोटी धनिया की चटनी पोदिना की चटनी लहसून की चटनी 
इतने पत्नी बोली एक मेरी चटनी भी लिख दो 
शुक्रवार के दिन की लिस्ट अभी अधुरी रह गयी ।
अभी तो शुरुआत है पति ने कहा इतने मे तेरी जान निकल गयी ।तु क्या खिलायेगी अपने पतिदेव को ?बात तो इतनी करती हो वो मेरे प्यारे पतिदेव आपको क्या बना खिलाऊं ?
रहने दो तुमको कुछ नही करना है 
 पत्नी- मेरी चटनी मतलब बात को सम्भालते हुए अपने भोले भाले पति से कहते है कि मेरी चटनी मतलब मेरे लिए कौन सी चटनी बनानी है आपको तो पता ही है मुझे कौन सी चटनी सबसे ज्यादा पसन्द आती है ?
पति- थोड़ा हँस कर सरसौ की चटनी 
पत्नी-हां !तुम्हे तो पता भी है फिर भी नही बोले
पति-हां रे मुझे तेरी पसन्द भी देखनी चाहिए थी ।ठीक है अब
शुक्रवार-चने की सब्जी मैदे की पूड़ी गट्टे की सब्जी पनीर के पकोड़े  बदाम का हलुआ
पत्नी मन ही मन खीज रही थी कि इस आदमी को कभी नही बोलुगी कि आपके पास मेरे लिए वक्त ही नही है शनिवार आते आते कसम खाती हूं 
अरे मोदी !तुमको तो बैठे बैठे सबकुछ मील जाता है तुमको बोलने मे दिक्कत ही क्या है ? इक्कीस दिन के लिए पतिदेव को थोड़े ही मांगा था ।पहले इनकी पेट पूजा करो फिर कपड़े बर्तन धोवो व झाड़ू साफ सफाई।
हे भगवान !बचाओ  दोनो हाथ जोड़ करबद्ध प्रार्थना करती हूं। इस बंदे को तो कुछ भी नही आता है सिर्फ कपड़े आइरन के। शनिवार आकर ही छोड़ा.
शनिवार !पतिदेव ने  पत्नी से कहा तुम भी तो बोलो ।कोई आइडिया हो तो ।पत्नी ने सोचा सबकुछ तो खा गया अब मुझे खायेगा क्या?
पत्नी ने कहा -दाल रोटी खाओ प्रभु के गुण गाओ
पति ने कहा ठीक है यही खा लेते है फिर आज घर की सफाई करते है जैसे दीपावली के दिनो मे करते है ।
पत्नी सोचती है काटो तो खून नहीं ।
पत्नी ने कहा एक काम करते है  आज शनिवार है और शनिवार की साढेशति उतारते है आप बर्तन मांजो मैं धोती हूं।
पत्नी -कपड़े मैं धोती हूं मशीन में आप सर्फ साबून निकाल कर धोकर सूखा आओ फिर लेते भी आना और आयरन तो तुम करते ही हो झाड़ू मै लगाती हूं पौछा तुम लगा दो
हम आपस मे शनि की साढेशती उतार रहे है आप कुछ मत सोचो मेरे  पड़ोसी लोग  दाल मै बनाती हूं चावल आप बना लेना.आलू मै काटती हूं सब्जी आप बना लेना 
रविवार के दिन भरपूर सोयेगे फिर दोपहर तक उठेगे खीचड़ी या दलिया खायेगे शाम को बाजरे की रोटी व दूध ले लेगे ।
पत्नी -अब फिर सोमवार आयेगा  पतिदेव सोमवार से शुक्रवार तक आपकी बारी है खाना बनाने की 
मै कपड़े आयरन करुगीं ।आप ही तो कहते है आखिर हम  पतिपत्नी है एक दूसरे का ख्याल तो रखना ही होगा ।हम एक गाड़ी के पहिए है तो कही गाड़ी का एक पहिया खराब न हो जाए और एक पहिया कही जाम न हो जाये ।
समझो और समझावो का खेल खत्म ।अब बस इक्कीस दिन तक मिलकर मौज मनाओ



****ममता गिनोड़िया**


जोराहाट 


 



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