प्रयागराज की महिमा का
कोई कर न सके बखान ,
तीर्थराज के कुम्भ नगर में
सबका हो कल्याण ,
तीन नदी की बहती धारा
डुबकी लगाता है जग सारा ,
मोक्ष धाम में जो भी आये
नगर देवता कष्ट मिटाये ,
पावन है इस नगर की गाथा
पापी भी पल में तर जाता ,
छोड़ के झूठ और अभिमान
जो कोई आये प्रयाग के धाम ,
सब दुखों से मुक्ति पाये
जो कोई वेणी माधव जाये ,
जहँ नाग पंचमी मेला लगते
नाग वासुकी उसको कहते
अभिनन्दन करता खड़ा
सबका प्रयागराज,
सम्मान से आओ यहाँ
हम है तीरथराज,
सिम्पल काव्यधारा
प्रयागराज
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