एक दिन आपका में रेखा की लघुकथा
अनुराधा ने बेटी से पूछा --आजकल देर से कैसे आतीं हो बेटी काॅलेज से।बेटी ने कहा --माॅ अतिरिक्त कक्षा लगतीं है उसके बाद दोस्तो के साथ बाहर खाते -पीते है। अनुराधा मन ही मन सोचने लगी कहीं शहर की हवा तो नही लग गयीं। लोग सौ बातें बनायेगे। एक दिन मनोरमा ने कहा कि-अनुराधा आज मैने तेरी बेटी को माॅल मे किसी लडके के साथ सिनेमा हाॅल में देखा।बेटी के घर आते ही उसे जली-कटी सुनाई और मार दिया। बेटी ने कुछ नही कहा रोते हुये वह सो गयी।शाम को उसके भाई का बेटा सोहन आया बोला--बुऑ ये रीना का वाॅयलेट मेरे पास रह गया था।
आज अचानक कोचिंग के बाद वह घर आयीं तो हम लोग सिनेमा गये थे।पापा आपके यहाँ आने वाले थे ईसलिये हम लोगो ने फोन नहीं किया। अनुराधा की ऑखों से ऑंसू निकल गया।बेटी को प्यार किया लेकिन बेटी तो गुमसुम हो गयी थी माॅ की बातें सुनकर।
रेखा तिवारी बिलासपुर
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