पुस्तक दिवस पर विशेष
दुबके हुए जज़्बात का इजहार है किताब।
साहित्य सेवियों का श्रंगार है किताब।
निष्प्राण किताबें भी जब बोलने लगे,
लड़ने को गरीबी से, हथियार है किताब।
बिरहा के वर्ष,पल भर अभिसार है किताब।
संगम है, किसी दौर में दीवार है किताब।
दामन में किताबों के कई रंग है भरे,
हृदयों में छुपे प्रीत,प्रेम,प्यार है किताब ।
रोमांच भरी दुनिया का द्वार है किताब।
वक़्त के दरिया की गहन धार है किताब।
संसार का इतिहास किताबों में भरा हैं,
हम सब के लिए ज्ञान का भंडार है किताब।
धीरेंद्र कुमार जोशी
अट्ठारह सरदार पटेल नगर कॉलोनी
कोदरिया महू मध्य प्रदेश
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