कभी जिंदगी से जूझना
कभी अपनों की बात कहना ।
कभी अपनों से बात करना।
मन की बात भी कह जाती हैं किताबें।
कभी चिड़ियों सा
च ह क ना ।
कभी झरनों सा बहना,
न जाने कब प्रकृति से भी नाता जोड़ जाती हैं
किताबें ।
कभी घरोदें बनाना और
कागज़ की नाव चलाना,
कभी दादी की कहानी
कभी नानी की ज़ुबानी
सुना जाती हैं किताबें।
कभी मेरी कहानी
कभी तुम्हारी कहानी
कभी ऐसी कहानी जो
लगे सबको अपनी सी कुछ ऐसा कह जाती हैं किताबें।
मनीषा व्यास
विज्ञापन-:अभिनय/माडलिंग, स्टील/वीडियो
फोटोग्राफी व एडिटिंग, डिजिटल विज्ञापन व
स्क्रीन प्रिंटिंग के अलग अलग प्रशिक्षण दिये
जायेगें। विशेष जानकारी एवं माडलिंग व
शार्टफिल्मों के अभिनय के लिए भी संम्पर्क करें।
9451647845 या 7068990410
0 टिप्पणियाँ