किताबों की अहमियत- अनुभा

पुस्‍तक दिवस पर विशेष


"किताबो की अहमियत ओ इंसान ही रखते है, जिसे पढ़ने, पढ़ाने या लिखने में रूचि हो या फिर किसी नए चीजो को सीखने की लालसा हो ।बोली गई बाते  हम कुछ समय तक ही अपनी स्मृति पटल पर याद रख पाते है पर लिखी हुई बाते युग युगान्तर तक प्रकाशवान  बन हमें अपने मंजिल की ओर ले जाती है ओ है-किताब,पुस्तक..."


किताबे.....कुछ रोचक कुछ रोमांचक
कुछ हलकी,कुछ भारी
एक एक अक्षर और व्यंजन से
बन जाती है किताबे।


किताबे...ज्ञान की भंडार
जानकारियां अपरम्पार
बीते हुए कल और आने वाला आज की
त्रिमिस्रित शब्दों की धार है किताब


किताबे...महाभारत की हुंकार है
रामायण में श्री बाल्मीकि की अल्फाज है
नए युग की रॉकेट  मिशाइल का राज है
नए पुराने व्याधियो का उपचार है


किताबे....करती है बाते
पहाड़ो की ,गुफाओ की
अजंता,एलोरा की विस्तृत भरी कथाओ की
जंगल की ,नदियो की,सागर की
गंगा, जमुना,सरस्वती की संगम की


किताबे...सिखाती है हमें
आपस की भाईचारे को
देश दुनिया की ज्ञानभरी विचारों को
किताबे करवाती है परिचय हमें
कला और संस्क्रति की थिरकन भरी उडान को....



                  अनुभा वर्मा, पटना


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