लोकोक्तियाँ-किरण बाला

लोकोक्तियाँं अपने आप में कहा गया वो परिपूर्ण वाक्य या कथन होता है जो किसी स्थान विशेष में जनमानस द्वारा अपने अनुभव या फिर किसी कथा के आधार पर
कहा जाता है | ये अपने आप में एक स्वतंत्रत वाक्य होती हैं |ये सांकेतिक रूप में होते हुए भी गहन अर्थ लिये होती हैं |
जो लोकोक्तियाँं अक्सर मैं अपने बुजुर्गों से सुनती आई हूं ,वो मै आपके समक्ष रख रही हूं | हो सकता है कि आपने भी इन्हें कहीं न कहीं सुना होगा या इनका उपयोग किया होगा |
1.जंगल में मोर नाचा किसी ने न देखा अर्थात् (किसी ऐसे स्थान पर अपना गुण दिखाना,जहाँ कोई देखने वाला न हो)
यहाँ तुम्हारे काम की कद्र करने वाला कोई नहीं तुम्हें तो किसी बड़ी कम्पनी में होना चाहिए था ,जंगल में मोर नाचा किसी ने न देखा|
2.खुदा गंजे को नाखून न दे (अयोग्य व्यक्ति को अधिकार देने में हानि का होना) 
किसी भ्रष्टाचारी के हाथ में व्यवस्था को सौंपना तो वही बात हो गई ,खुदा गंजे को नाखून न दे |
3.गुड़ न दे,गुड़ की सी बात तो कहे ( किसी को कुछ देने का सामर्थ्य न होने पर मधुरता नहीं खोनी चाहिए)  तुमने मदद माँगने आए व्यक्ति से इस तरह अभद्र व्यवहार नहीं करना चाहिए था, गुड़ न दे पर गुड़ जैसी बात तो कह देते. 
 4.दो मुल्लों में मुर्गी हराम(एक चीज पर अन्य व्यक्तियों द्वारा हक जताना) 
यहाँ तो पहले से ही  पैसो को लेकर खींचातानी चल रही है अब तुम भी आ गए, सच ही कहा है, दो 
मुल्लों में मुर्गी हराम |
5,बाप न मारी मेंढकी, बेटा तीरन्दाज (छोटों का बड़ों से आगे निकल जाना) 
भईया, तुम तो गायक बन न सके पर तुम्हारा बेटा इसमें कामयाब हो गया |तभी तो कहा गया है बाप न मारी मेंढकी, बेटा तीरन्दाज|
6.शर्म की बहू नित भूखी मरे(खाने पीने में शर्म नहीं करनी चाहिए) तुम्हें भूखा रहना है तो रहो, मैं तो भरपेट खाऊंगा क्योंकि शर्म की बहू नित भूखी मरे|
7.तीन लोक ते मथुरा न्यारी (अनोखा अंदाज) सुधा की वाचन शैली ही प्रभाव छोड़ती है,सच ही तो है तीन लोक ते मथुरा न्यारी|
8.तू भी रानी, मैं भी रानी कौन भरेगा पानी (अहंकार से भरा होना) सपना और मोनिका कहने को तो बहने हैं पर अपने आप को दूसरे से कम नहीं समझती, इनकी तो वही बात है,तू भी रानी मैं भी रानी कौन भरेगा पानी|
9.सेर दूध 20 सेर पानी, घुमर-घुमर फिरै मधानी (घटिया चीज पर अभिमान करना) 
तुम उसकी बातों में कहाँ आ गए वो तो बस अपना ही गुणगान करता रहता है,उसका तो वो हाल है सेर दूध 20 सेर पानी घुमर-घुमर फिरै मधानी |
10.चोर के पैर नहीं होते (चोर किसी भी आहट से डर जाता है) जब चोरों ने देखा कि घर के लोग जाग गए हैं तो वह बिना चोरी किये ही भाग गया, तभी तो कहा गया है कि चोर के पैर नहीं होते|
11.जहाँ जाए भूखा,वहीं पड़े सूखा (अभागे को सभी जगह कष्ट ही मिलता है) जीवन जैसे ही दावत में पहुँचा वैसे ही भोजन समाप्त हो गया, जहाँ जाए भूखा वहीं पड़े सूखा |


                     ----किरण बाला



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