माँ-अनुभा

एक दिन आपका कालम के तहत प्रकाशित



माँ बीते हुए पल की याद हमें बहुत सताती हैं
माँ तुम बहुत याद आती हो....
हम सब की तोतली बेतुकी बातो को गौर से सुनना
और अपनी बातो को दिल में दबा जाना
हम बच्चों  के पालने में ही अपनी दुनिया बसाना
फिर हमसब की अजीबोगरीब हरकतों को निहारना
ओ आज भी याद आती हैं, माँ तुम बहुत याद आती हो ....
माँ बीते हुए पल की याद हमें बहुत सताती हैं
माँ तुम बहुत  याद आती हो...
मेरी शैतानियों से परेशान पापा का डाँटना,
मेरा रूठना और तुम्हारा मनाना बहुत याद आती हैं
तेरी आँचल में छुपकर पापा को देखना फिर
पापा का हँसकर गले लगाना बहुत याद आती हैं
माँ बीते हुए पल की याद हमें बहुत सताती हैं
माँ तुम बहुत  याद आती हो...
माँ तुम्हारे होने का एहसास हमें हरपल सताती हैं
जब भी मेरी आँखे दुखी हो सैलाब सी भर जाती हैं
माँ तू फरिस्ता जैसी मेरे ख्वाबो में आ जाती हो
माँ एक तू ही हो जो अपने होने का एहसास हरपल
दिलाती हो,माँ तुम बहुत याद आती हो.....
माँ तुम्हे शब्दों में पिरोना हैं नामुमकिन
माँ तेरी गालो पे पप्पी और जादू की झप्पी
चोट लगने पर आपकी ओ प्यारी सी थपकी
मेरी हरएक जख्म पे तेरा आँसू से भरी सिसकी
माँ एक तू ही ह जो अपने होने का एहसास हर पल दिलाती
हो ,माँ तुम बहुत याद आती हो....
सुबह सबेरे हमें जगाना, नित्यक्रिया पे हमें लगाना नित नए
पकवान खिलाना,अच्छेबुरे का ज्ञान बताना
राजा बेटा, सोना बेटा कहकर हमे स्कूल पहुँचाना
ओ आज भी याद आती हैं, माँ तू बहुत याद आती हो....
माँ बीते हुए पल की याद हमें बहुत सताती हैं,
माँ तू बहुत याद आती हो...



अनुभा वर्मा,पटना



 


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