माँ वीणावादिनी-अंकिता

मां शारदे वींणावादिनी ,सरस्वती को नमन कर अपने मुख से अमृत पान करा दे 
हृदय के द्वार को जो अपने शब्दों से खोल दे अन्तर्मन की पीड़ा को शब्दों का रूप धारण कराये और पारदर्शिता को दर्शाये जगत में ,रवि की तुलना का आधार जिनको हम कहें वही तो कवि है ।
उजागर प्रज्वलित भावनाओं की रेखा उत्कृष्ट रचनाओं के रूप में ढ़ालता आत्मा मर कर भी कभी नहीं मरती ,गीली ख़ुशबू वाले अस्तित्व रखने को ही हम कवि कहते हैं ।सामाजिक परिस्थितियों पर लेखन प्रक्रिया से चोट कराता, सत्य को दर्शाने के लिए कल़म को संवेदना से भी युद्ध करवाता ,विचारधारा को परिपक्व एवं परिपथ करवाता ,समाज देश को सत्य, असत्य का आईना  दिखाने का जज़्बा जो रखे वही तो कवि है 
लबों पर शब्दों से एहसास खुशी , ग़म , दर्द, दुख का करा दे वही तो कवि है ।
वरिष्ठ कविजनों से प्रेरणा लेकर एक प्रेरणा स्रोत सृजनात्मक भावनाओं का वास करा दे ।कविआलय में अपनी सरलता, सहजता ,सौंदर्यपूर्ण भाषाओं से सभागार को अवगत करा दे वही तो कवि है ।
ज्ञान सागर में शब्दों के सुमन अर्पण कर कृतज्ञता ,गीता ,की मिशाल बनाये ।युवा पीढ़ी का मार्ग दर्शन करें 
शब्दों की शब्दावली तैयार करके हृदय में संजोकर नया कारवां बनाये वहीं कवि है


कुछ कहूँ दो पंक्तियों से,
कवि को शब्दों मे बांधना मुश्क़िल है,


ढूंढें दुख के विकल्प तो हृदय 
""कविचौखट पहुँचता है
ढूंढे हृदय सुख का आसन तो 
सुखद शब्दों से कवि शब्दालय पहुँचता है 
अदब से रखे इनके शब्दों शब्दावली को
तो कवि हृदय आसमां और रवि की पहुँच से बहुत दूर अनंत तक पहुंचता है


अंकिता सिन्हा
जमशेदपुर झारखंड



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