मैं और मेरी पुस्‍तक -हेमलता

पुस्‍तक दिवस पर विशेष


पुस्तक है मेरी साथी,
 बिना पढ़े मैं नहीं रह पाती।
जब मन होता है व्याकुल ,
वह रंगों से भर जाती ।।्
पुस्तक है मेरी साथी......


कोई नहीं हो पास मेरे जब,
 पुस्तक ही मुझसे बतियाती ।
 हरदम साथ निभाती है वह,
 पुस्तक ही मुझको सहेलाती।


मन होता उड़ जाऊं गगन में,
 पुस्तक ही मुझको ले जाती।
 देश विदेश की सैर कराती,
ज्ञानकी मुझमें अलख जगाती


याद करें मन मां की ममता तो
 मां का आंचल वह बन जाती
 मुझ पर प्यार लुटाती है वह,
 आंचल में मुझको छुपाती ।।


बिन बोले सब कह देती वह
 अच्छे बुरे का ज्ञान कराती।
 मेरी भी पहचान उसी से ,
मैं भी गीत उसी के गाती।।
 पुस्तक है मेरी साथी......



हेमलता शर्मा भोली बैन
इंदौर


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