मैं नारी हूँ-अमिता मराठे

एक दिन आपका में अमिता मराठे की कविता


मैं नारी हूं शक्ति की प्रतीक हूं
मैं जननी हूं सृष्टि की उद्गम हूं
मैं अन्नपूर्णा हूं पालन कर्ता हूं
मैं काली हूं माया नाश करती हूं
मैं जगत् अम्बा हूं इच्छा पूर्ण करती हूं
मैं सरस्वती हूं विद्या दायिनी हूं
मैं नायिका हूं प्रतिनिधित्व करती हूं
मैं सहनशील हूं सबके के लिए मिसाल हूं
मैं दुर्गा हूं माँ बेटी बहन की प्रति बिम्ब हूं
समाज की धारा हूं प्रवाहित होती हूं
मैं भागीरथी हूं पीड़ा से उपजी ज्वाला दूर करती हूं
यही अन्तिम सोच रखती हूं
महिला का हो उत्थान
हर दिन उसका हो विशेष
संकल्प और संघर्ष हो साकार
अपने अस्तित्व को भूलती हू 
विडम्बना का पात्र बन जाती हूं
आत्म शक्ति की रहे पहचान 
सदैव नारी का हो कल्याण 


 अमिता मराठे 
इन्दौर मप्र 



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