मजदूर-प्रीति

आज कमला और उसका पति लॉक डाउन के चलते घर पर ही हैं ।बच्चे भूख से व्याकुल हो रहे हैं। और बार-बार पूछ रहे हैं "मां कब बाहर जाएगी काम पर ...और खाना खिलाएगी...? मां बार-बार यही कह रही है "बेटा देश में महामारी फैल रही है ।सभी को घरों में रहने का आदेश है। इस तथ्य को जानकर बच्चे भूख से व्याकुल होकर रोने लगते हैं। और बच्चों का रोना कमला के पति  भोलाराम से देखा नहीं जाता  है ।और वह अपना गमछा कंधे पर रखकर कहता है "कमला तुम यहीं ठहरो ...तुम आज काम पर मत जाना... मैं जाता हूं " किंतु घर से बाहर निकलते ही ,चौराहे पर पुलिस भोलाराम को रोक लेती है। और पूछती है"अरे कहां जाते हो ?तुम्हें पता नहीं है देश में बीमारी फैल रही है? सरकारी आदेश है कोई घर से बाहर नहीं निकलेगा ।भोलाराम कातर स्वर में कहता है " साहब मजदूर काम पर नहीं जाएगा तो खाएगा क्या? यह सुनकर पुलिस वाले की आंखें भी नम हो जाती हैं ।और वह कहता है तुम चिंता मत करो हम अपने देश के मजदूरों को यूं भूखा नहीं मरने देंगे। हमारी सरकार ने खाने की व्यवस्था भी की है। खाने और राशन के पैकेट दोपहर तक तुम्हारे घर पहुंच जाएंगे।भोलाराम कहता है "साहब कोई काम हो तो बताइएगा। क्योंकि मेहनत करना हमारा धर्म है ।मेहनत ही हमारा ईश्वर है। और वैसे भी हम भिखारी नहीं है जो मुफ्त में सब सुख सुविधाओं का भोग करेंगे "।उसकी बात सुनकर पुलिस वाला भी हतप्रभ रह जाता है ।और सोचता है कितना स्वाभिमानी है हमारे देश का मजदूर? कितना कर्मठ... कितना परिश्रमी ....जिनके लिए कर्म ही पूजा है ।



प्रीति चौधरी" मनोरमा "
जनपद बुलंदशहर 
उत्तर प्रदेश


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