मां मन के मंदिर में मूरत सी खड़ी हो
प्रथम पूज्य सदा तुम ही रही हो
मां तुम भगवान का दूसरा रूप हो
सूरत में परमात्मा हो
मोल मैं अनमोल रही हो
पूजा में वरदान रही हो
सशक्त पेड़ बन तुम हमेशा खड़ी हो
तूफान हजार आए अकेले लड़ी हो
कड़ी धूप में छाया है तुम्हारी
स्वर्ण सी तपी है काया तुम्हारी
जितना मिला खुश उसी में रही हो
प्रथम पूज्य -----
गमों को आंसुओं से धोकर
खुशी के पलों को धागे में पिरोकर
गले में चंदन की माला पड़ी हो
मां मन के मंदिर में
तुम ही खड़ी हो
ममता के सागर में तैरते हुए
हर प्रश्न का उत्तर रही हो
सारे तीर्थ में पुण्य सी
चरणों में तीर्थ रही हो,
तुम्हारे दूध का कर्ज रहेगा सदा
हर रिश्ता मां के बाद यहां
रहे हांथ सिर पर हमेशा तुम्हारा
दुआ हमारी सदा ही रही है
मां मन के मंदिर में तुम ही रही हो
प्रथम पूज्य मां ,सदा तुम ही रही हो।
नीता चतुर्वेदी
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