मन की बात-रीता

हरेक इंसान  के मन  में कुछ न कुछ चल रहा होता है पर हर किसी से हम "मन की बात" नहीं कर सकते।मन की बात बहुत सोच-समझकर ही किसी से करनी चाहिए ,कुछ मन की बातें  ऐसी भी होती हैं जिन्हें  हम सबको नहीं बताना चाहते और हमने किसी इंसान को अपना समझकर यदि मन की बात बता दी तो ज़रूरी  नहीं है वो आपकी बात अन्यत्र किसी से नहीं करेगा। मुँह से निकली बात पराई हो जाती है इसलिए हरेक से अपने मन की बात कभी मत करें। हमारे मन में अपने जीवन के प्रति, अपने काम के प्रति बहुत से विचार चल रहे होते हैं , जिसमें भविष्य  की योजना तथा हमारे काम की कुछ सीक्रेट बातें होती हैं या जायदाद व संपत्ति  की बातें ,इन सब बातों को  हमे सबसे नहीं कहनी चाहिए। 
आजकल प्रतिस्पर्धा का जमाना है और इंसान जितना मतलब स्वयं से नहीं रखता उससे ज्यादा  वो दूसरे के काम बिगाड़ने की फिराक़ में रहता है अतः मेरा आपसे यही मशविरा है कि मन की बात सबसे नहीं  करें और यदि किसी ने आपको अपना स्त,भाई या अपना  समझ कर कोई बात की है तो उसको अच्छी सलाह दें और उसकी  बात अपने मन में रखें।  किसी का मजाक  मत बनाओ और न किसी का मनोबल तोडे़ कि तुमसे ये काम नहीं होगा,ये काम मुश्किल है इत्यादि  बातें। ध्यान  रखें कि किसी भी कार्य को किसी भी उम्र में करा जा सकता है इंसान  मन से यदि ठान ले तो कोई कार्य मुश्किल  नहीं होता। 
इंसान  एक दिन  मंज़िल  अवश्य  पाता हैं। 


धन्यवाद ।
रीता जयहिन्‍द



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