अभी मैंनै "रामचरितमानस में प्रबंधन "पुस्तक पढ़ी जिसमें निम्न लिखित उक्तियाँ बहुत अच्छी लगी ःःः
1" सतसंगत मुद् मंगल मूला" सत्संगति से मनुष्य को आनंद प्राप्त होता है और कल्याण की भी प्राप्ति होती है इसलिए सत्संग का जीवन में बड़ा ही महत्व है। डाकू रत्नाकर भी सत्संग से वाल्मीकि ऋषि बन गए और उन्होंने रामायण की रचना की ।
2 "संग्रह त्यागे न बिनच पहचाने" धन संपत्ति का संग्रह हमेशा विवेक के साथ करना चाहिए किसी भी वस्तु को लेते समय उसके गुण दोष अच्छे बुरे की पहचान करके ही लेना चाहिए। 3 "उघरहिं अंत न होहि निबाहू " जो व्यक्ति छल कपट से अपना स्वार्थ पूरा कर लेते हैं उनका अंत हमेशा विनाशकारी होता है।
4 "ते सब जानहु निशिचर जानी" आज के समय में मनुष्य स्वार्थ लिप्सा में डूब कर दूसरों का धन छीन रहा है और वह अपने माता-पिता का ही अपमान करता है ऐसी आदतों वाले राक्षस ही होते थे।
5 "जब-जब होहि धर्म की हानि "जब जब संसार में धर्म की हानि होती है। सर्वत्र अधम,अभिमानी, असुर बढ़ जाते हैं और ब्राह्मण, ,पृथ्वी दुख पाते हैं तब भगवान मनुष्य रूप में प्रकट होते हैं और संसार का उद्धार करते हैं
6 "अनुज सखा संग भोजन करहिं" रामचंद्र जी अपने भाइयों से बहुत प्यार करते थे वे अपने भाइयों के साथ बैठकर बड़े प्रेम के साथ भोजन करते थे।आज भी ऐसा होना चाहिये।
7" प्रातः काल उठ के रघुनाथा" राम चंद्र जी सुबह उठकर अपने माता-पिता की और गुरु के चरण स्पर्श करती थे उसके बाद अन्य कार्य।
8 "निजअनुरूप शुभम वरु मांगा "सीता ने अपने अनुरूप सुख देने वाला वर मांगा सीता गौरी का पूजन करती हैं और गौरी से यह आशीष प्राप्त करती है" सुनु सिय सत्य असीस हमारी"
9 जब सीता का विवाह होता है तोउनकी माँ सुनयना कहती है "सास ससुर गुरु सेवा करहूँ पति रुख लहिव आयसु अनुसरेहूं ,"
अर्थात सास ससुर और गुरु की सेवा करना और पति का रुख देखकर ही उनके कहे अनुसार चलना ।
10 "वधू लरकिनी पर घर आई, राखेहुँ नयन पलक की नाई" सीता विवाह के पश्चात जब अयोध्या आती हैं तो दशरथ जी कहते हैं बहुएँ अभी बच्ची हैं , पराए घर से आई हैं।इनको ऐसे रखना जैसी पलकों में नेत्र रखते हैं।
11" कौन सुसंगत पाई न सांई, रहइ नीच मते चतुराई "बुरी संगत में पड़ कर सज्जनों के चरित्र भी बिगड़ जाते हैं, केकई भी मंथरा की बातों में आ अपना सर्वज्ञान नष्ट कर देती है। 12 "सुनो जननी सोई सत बड़भागी, जे पितु मातु वचन अनुरागी" माता केकई से 14 वर्ष का वन गमन सुनकर राम कोमल वचन बोलते हैं हे माता सुनो वही पुत्र बड़ा भागी होता है जो माता-पिता कीआज्ञा का पालन करता है।।
आशा जाकड़
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