मुझे भी-खूशबू

तुम तो कहते थे भूल जाओगी तुम मुझे,क्या तुमने हमे याद रखा हैं?
हमने तो तेरी मोहब्बत और सितम  दोनो को सीने से लगा के रखा हैं।
तेरे हर अलफाज़ और वादों को दिल मे सजा के रखा है।
क्या तुमने भी हमे याद रखा है ?
हमने तो तेरी हर नादानी को, तेरी हर गुस्ताखी को अपनी साँसो मे बसा के रखा है।
क्या तुमने भी मुझे याद रखा है ?
मुझ पर ढा़या था सितम तुमने क्या तुमने हिसाब रखा है?
हम तो आज भी जी रहे हैं तुम्हारे हर सितम को ,
क्या तुमने कभी मेरे गमो को ऐहसास किया हैं ?
क्या तुमने भी कभी हमे ऐसे याद हैं?
क्या तुमने भी मुझे अपनी साँसो मे पिया ?
 क्या तुमने भी कभी मेरे दिल की पुकार को सुना है?
हमने तो आज भी तुम्हें अपने दिल मे बसा के रखा हैं ,क्या तुम भी मुझे...............?


 


खूशबू दिल्ली


 



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