एक गांव में नाना और नाती साथ में रहा करते थे । एक बार खाने का बुलावा आया किसी गांव में खाने के लिए जाना था। नाती भी जाने का जिद करने लगा। नाना ने नाती से कहा देखो बेटा जहां जाते हैं वहां गंभीरता से रहना चाहिए । और खाना कम खाना चाहिए। इस तरह लोग समझेंगे कि बड़े घराने का लड़का है।
जब भी खाना ,खाना चाहिए तो उसमें कुछ छोड़ देना चाहिए। इस तरह इज्जत बचा रहता है । नहीं तो लोग समझेंगे कि हम सब पेटू है सारा खाना खा गया।
नाना नाती से पूछे-- कुछ समझे नाती
नाती - हा हा नाना हम सब समझ गये।
नाना-- का समझे।
नाती - यही समझे नाना कि खाना खाने के बाद इज्जत के लिए छिपा में कुछ छोड़ देना चाहिए । इस तरह हम लोगों का इज्जत बचा रहेगा । नाना
नाना - हा हा नाती बूझ तो गए अब चलो।
नाना आ नाती दोनों जने खाना खाने बैठे लोग जब उनसे पूछा जाता कि और कुछ लीजिएगा तो नाना खाते वक्त नहीं बोलते थे । धीरे से ना में सर को हिला दिया करते थे।
लोग समझे कि अब नहीं लेंगे ले जाकर रख दिए । इधर नाती का पेट भरा ही नहीं था। अभी और खाना ,खाना चाहता था । लेकिन क्या करें नाना के अनुसार थाली मे कुछ खाना छोड़ दिया था। अपना इज्जत बचाने के लिए।
तब तलक वह आपने नाना से पूछा - नाना नाना हम इजतिया खा जाएं , नाना नाना हम इजतिया खा जाएं।
इसी बात को कई बार बोल चुका।
नाना सर हिला कर कुछ कहना चाहते थे । लेकिन कह नहीं पाते।
नाना क्या कहें - घर के लोगों को मुंह देखकर हीऽहीऽहीऽ हीऽ करने लगे।
घर के लोगों ने सोचा आई हो दादा एक तो बहुत पेटू है हम सब लोगों ने खाना खिलाया और हमारी इज्जत खाने पर तुला है । बाप रे बाप ऐसा तो हम आदमी नहीं देखा खाना खाने के बाद अब हम सबका इज्जत खाएगा।
नाना बोले - चलो बेटा हर जगह इज़्ज़त नहीं खाना चाहिए। जैसा देखते हैं वैसा करते हैं।
नाना, नाना हमको इजतिया खाना है । नानाअभी पेट नहीं भरा है । हमको इजतिया खा लेने दो नाना ।
नाना बोले - अरे चल ससुरा इजतिया खाना है तो दूसरे जगह खा लेना पहले यहां से तो चल।
नाती - इजतिया खाना है इजितिया खाना है नाना इजतिया खाना है नाना रोते हुए अपने घर को चला गया। लेकिन बेचारा इज्जत नहीं खा पाया।
उसे कहने का मतलब यह था कि जो थाली मे इज्जत के लिए खाना छोडा था। वह उसी को खाना चाहता था ।
उपेंद्र अजनबी
सेवराई गाजीपुर
मो - 7985797683
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