कविता मानव भावनात्मक जुड़ाव की रक्षक है जहाँ दीवार पर गुमनामी की मुहरें हो ,कविता रौशनी की नयी राह है परिस्थितियों मे बंधी मानव जीवन को शब्दों से अवगत करा के सृष्टि सृजन भाव को पनपाती है कविता हृदय आँगनबाड़ी मे ममत्व और प्रेम के फुल खिलाती है कविता ,कविताओं के दरख्त बडे अतिभूत करते मनपीडा़ को ,यह वो बीज जो शांति और सुखद पलों का अनुभव कराती है, उच्च आचरणों का समावेश मे अपनी भुमिका निभा जाती है ,मनोरंजन एवं सभ्यता संकृति, स्वभाव -सशोधन को उजागर करती ये कविता, कविमुख से अमृत रस की भातिं समस्त प्रजाति को आराम, और बैचेन कर जाती है कविता।जहाँ शस्त्रों का बेअसर होना लाजमय हो वहाँ अपनी तेज धार औजारों का पाठन शब्दों से करा विचलित विचारधाराओं को शांत एव उतेजित करती है कविता ,श्रुति सुखदाता,एव सृष्टि सौंदर्य मे खुद के अस्तित्व को स्थापित करती कविता ,इसके विविध रूपों को बयां करना बेहद मुश्किल है ,यह मन की वह कोना है जहा र्दद, दुख,तकलीफ़ अपने हद से ज़यादा हानिकारक प्रभावों से जीवन को प्रभावित करे वहां शब्दों के मरहमपट्टी बांधकर कर घावों पर मुस्कराहट लाती है कविता ,जींदगी को जीवंत जीने योग्य बनाती कविता।भावनाओं के अंलकार,पोशाकों से ओतप्रोत कविता के शब्दावली सागर मे मिले शीप होती ,आँखों से एहसास का बोध करा जाती कविता., अनकही जज्बात ,सौंदर्य प्रेम, सम्मान,देती कविता ,और कवियों के मुताबिक कभी कटुभाषी शब्दों के समुद्र मे खार भरे जज्बात एवं शत्रुतापन पैदा कर जाती कविता ,भावनाओं के अंलकार,पोशाकों से ओतप्रोत कविता के शब्दावली सागर मे मिले शीप होती होती है कविता ।भावों से गुजर कर प्रस्फूटित हो जगत को आदर्श देती है कविता।
निःशब्द हूं इसके चित्रण मे ,भावनाओं की धारा समेट पाना मुश्किल है।
स्वभाव,कार्य प्रवृत्ति भावनाओं की रक्षक कविता।
सृष्टि -सृजन सौंदर्यता का रसपान कराती कविता
नारी-कोख प्रथम सुखद अनुभव तुलनात्मक होती कविता
आँगन मे नन्ही तितलियों की समावेश
गुजें कायनात ऐसी होती है कविता
अकिता सिन्हा
जमशेदपुर झारखंड
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