मैं हूं बूंद ओस की
नीर बनने की आस है
खुशियों भरी ये शुरूआत
मेरे लिए कुछ खास है
कुछ अड़चन भरी
राहें मेरी
कुछ उलझन भरी
आहें मेरी
चलूं किस पथ
ना मुझे आभास है
फिर भी
शुरूआत कुछ खास है
मैं हूं एक कली पुष्प की
खिलने की मुझे आस है
नया जीवन,नई उमंग
यह शुरूआत कुछ खास है
कुछ कीट,कुछ पतंगे
भक्षक मेरे
कुछ पत्ते,कुछ परिंदे
रक्षक मेरे
क्या होगा क्या पता
ना मुझे कोई भास है
फिर भी शुरूआत
कुछ खास है
मैं हूं बादल घनेरा
बरसने की मुझे आस है
खुशियां बरसाती नई शुरुआत
मेरे लिए कुछ खास है
कुछ धुंध छाई जमीं पे,
रोके मेरे कदम
कुछ नमी आई जमीं पे
चूमे मेरे कदम
नमी की धुंध पर
जीत हुई
मैं बरसा जमके
मुझे जमीं से
प्रीत हुई।
मैं हूं धूल जमीं की
उड़ने की मुझे आस है
खुशियों भरी यह शुरुआत
मेरे लिए कुछ खास है
आंधी रोक रही
राह मेरी
बरखा सुन रही
आह मेरी
किसी की ना सुनु मैं
मेरे अपने मेरे पास है
खुशियों भरी शुरुआत
मेरे लिए कुछ खास है।
मीना सोनी ,अजमेर
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