हमारे पड़ोस में एक महिला थी । जिसका नाम गुलबिया था। हम लोग प्यार से गुलाबो भौजी कहां करते थे । बहुत ही मेहनती कर्मठ , मृदुभाषी महिला थी। किसी के सुख दुख में साथ रहने वाली गुलाबो भौजी हम सभी को बहुत सारा प्यार दुलार दिया करती थी । उनके स्वभाव ब्यवहार और मीठी वाणी का सभी लोग प्रशंसा करते थे। किसी के घर कोई कार्य प्रयोजन हो तो गुलाबो भौजी का बुलावा पहले जाता था। शादी, विवाह, तिलक, मुंडन, सभी में वह सबसे आगे पहुंचती थी। हर काम को समझाना ,बतलाना ,सुझाव देना कोई भी काम उनसे पूछ कर ही किया करते थे।उनके घर चले जाने पर कुछ ना कुछ खिलाकर ही भेजती थी। उनकी बोली बचन हम सबों की दिल जीत लेता था।
एक दिन अचानक हमारे घर के बगल में अचानक रात को आग लग गई। पूरा-अफरा तफरी मच गयी । आग में कुछ सामान जल तो गया। लेकिन उसी घर में दो बच्चे सो रहे थे। पूरी तरह जल चुके थे। किसी को समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए । लेकिन गुलाबों भौजी ने अपने पति से कह कर एंबुलेंस मंगवाई और उन दोनों बच्चों को लेकर सीधा अस्पताल पहुंच गयी। साथ में बच्चे का मां और पिताजी भी थे। बेचारी गुलाबो भौजी ने अपनी सूझबूझ से दो जिंदगी बचा ली, और पूरा टोला महाला की चहेती बन गयी । दोनों बच्चों का हाल जानने के लिए रोज उनके घर जाया करती थी। सभी लोग उनकी बडाई करते न थकते थे। लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था । कुछ साल पहले गुलाबो भौजी इस दुनिया को छोड़ कर चली गई। लेकिन आज उनकी याद बहुत आती है। हम सभी लोगों की पड़ोसन ही नहीं थी। हम लोगों की मां थी। एक सदस्य थीं।हमारे घर की , हमारे सुख-दुख में सदा साथ निभाती थी । इतना तो हमारे घर के लोग भी नहीं करते जितना बेचारी गुलाबो भौजी किया करती थी।
पड़ोसन होने का यह मतलब है कि अपने आस पास पड़ोस के लोगों को सदा सुख दुख में साथ दें । न की दिन रात झगड़ा करें। हम सब एक दुसरे से मिलकर रहे। सच्ची अर्थो मे कहे तो पड़ोसन होने का मतलब एक-दूसरे का साथ दे।
उपेंद्र अजनबी
सेवराई गाजीपुर
मो - 7985797683
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