पड़ोसन-ज्‍योति रतन

 पड़ोसन शब्द जब भी आता है तो मुझे सिर्फ पड़ोस की मीनाक्षी शुक्ला जिन्हे सभी प्यार से मीनू कह्ते उन्ही का ध्यान आता । शादी के बाद लगभग ग्यारह महीने बाद मै उनके पड़ोस मे बने अपने घर आई थी ।बहुत से जीवन ले उतार चढाव के साथ उनके घर आना जाना होता रहा ।जब भी कोई जरूरत होती तो पड़ोस की मीनू भाभी ही याद आती ।काम के कारण पड़ोस मे रह कर भी कई कई दिन मिल नही पाती ।लेकिन जब मिलती कितने घन्टे बीत गये पता नही चलता ।कोरोना के कारण घर आना जाना कम हुआ तो रास्ते मे ही बात होती रहती ।मीनू भाभी के साथ  मार्केट  जाना,कभी किसी संस्कृतीक कर्याक्रम मे जाना होता रहता है । मै भी बिना किसी हिचक के उनको सभी परेशानी बता देती हूँ । वैसे तो पडोसी बहुत है ।लेकिन  मीनू भाभी जैसा कोई नही ।


 


ज्‍योति किरन रतन


 



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