पड़ोसन-कंचन

मेरी पड़ोसन, रीना अच्छी भी है और दिल की सच्ची भी है। पर थोड़ी अब मुझसे जली - भुनी सी रहती है। पता है पहले ऐसी नहीं थी उसकी और मेरी शादी लगभग साथ ही, हुई थी मेरी मार्च में तो उसकी जून में हुई थी। याद है मुझे जोगवा शादी करके आई थी तब सबसे पहले हमारे घर में ही लाई गई थी। क्योंकि हमारे यहां ऐसा मानते हैं की सबसे पहले उसके घर में यानी ससुराल में नहीं ले जाना चाहिए सास की नजर लग जाती है बहु को इस वजह से रीना पहले हमारे घर में आई मैंने ही दूल्हा दुल्हन के लिए चाय नाश्ता बनाई थी। तब से ही हमारी अच्छी सहेली बन गई थी रीना समय बीतता चला गया और हमारी दोस्ती भी पक्की होती चली गई और हमारे बच्चे भी साथ साथ ही खेल कर बड़े हुए । कभी मैं बीमार पड़ी तो रिश्तेदार बाद में खड़े होते हैं पर मेरी पड़ोसन रीना पहले मेरी देखभाल को आ जाती है। हमारा रिश्ता कुछ खट्टा मीठा सा है या कह लो मीठा कम और खट्टा ज्यादा है उसको आज मुझसे थोड़ी जलन सी होती है कहती है, हम दोनों की शादी साथ ही हुई है और बच्चे भी दो दो ही हैं पर तुम आज भी बहुत सुंदर दिखती हो और तुम मोटी भी नहीं हो फिर मैं क्यों मोटी हो गई यही शिकायत रहती है उसको और जब मोहल्ले में कोई समारोह हो तो हम साथ ही जाते हैं और अगर वहां किसी ने मेरी तारीफ कर दी तो बस रीना का चेहरा देखने लायक हो जाता है। थोड़ी सी मायूस और चेहरा लटक जाता है जैसे कोई जान ही नहीं, फिर मैं धीरे से कहती हूं रीना तुम्हारी साड़ी आज बहुत अच्छी लग रही है। तो रीना मुंह बना कर कहती है रहने दो मक्खन ना लगाओ ज्यादा मुझे पता है ऐसी है हमारी पड़ोसन रीना मीठी कम और खट्टी ज्यादा


कंचन जयसवाल
नागपुर महाराष्ट्र



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