परिभाषा-संजय वर्मा

एक दिन आपका में लघुकथा


गर्मियों की छुट्टियों में एक श्रीमान के यहाँ  उनकी साली आई ।श्रीमान की पत्नी की आवाज बहुत ही सुरीली थी ।वो अपनी नन्ही सी बेटी को अक्सर लोरी गा कर सुलाती थी ।जब  वो लोरी गा रही थी तब श्रीमान की सालीजी ने उस लोरी को रेकार्ड कर वीडियो बना लिया सोचा दीदी इतना अच्छा गाती है ।मै  घर जाकर माँ को दिखाउंगी ।सालीजी कुछ दिनों बाद घर चली गई ।कुछ दिनों बाद श्रीमान की पत्नी को गंभीर  बीमारी ने जकड़ लिया काफी इलाज करने के उपरांत वह बच नहीं  पाई ,चल बसी ।उधर पत्नी की मृत्यु का गम और इधर नन्ही बच्ची को सँभालने की चिंता । जब रात होती बच्ची माँ को घर में नहीं पाकर रोने लगती |हालाॅकि वो अभी एक साल की ही थी । कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर क्या किया जाए।सालीजी आई तो उसने लोरी वाला वीडियो जब बच्ची को दिखाया तो वो इतनी खुश हुई और उसके मुँह से अचानक "माँ "शब्द निकला और हाथ दोनों माँ की और उठे | मानो कह रहे थे -'माँ मुझे अपने आँचल में ले लो तभी टीवी पर दूर गाना  बज रहा था -माँ मुझे अपने आँचल में छुपा ले गले से लगा ले  की और मेरा कोई नहीं '। उस समय के हालत से सभी घर के सदस्यों की आँखों में अश्रु की धारा बहने लगी । ममत्व और भावना की परिभाषा क्या होती है|किसी को समझाना नहीं पड़ा । 
 

संजय वर्मा "दॄष्टि  "125 शहीद भगतसिंह मार्ग मनावर जिला धार  म प्र 

 


 



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ