ससुराल में हमने पहला कदम रखा ही था,हम समझे भीड़, पर वह परिवार था।देख चकित हुई कौन है देवर, कौन है जेठ,कौन ननंद किसके बच्चे,हम थे दिल के सच्चे। सभी आगे पीछे हो रहे थे हमारे और हम गर्मी में पसीने के मारे। जून का गर्मी से भरा चिपचिपा महीना था, जो हमारे लिए बिल्कुल सही ना था। तभी खिचड़ी की रस्म का आया बुलावा,हमने किसी को आवाज देकर बुलाया। हमारा सूटकेस खुलने का नाम ना ले रहा था जो हमें बहुत परेशान कर रहा था। हमने किसी को रोका। चोटी थी जिनकी लंबी पेट था आगे, कहा पंडित जी! सूटकेस खोल दीजिए। वो थे सीधे-साधे, खोलकर जल्दी ही भागे तभी जेठानी जी आई, और कहा तुम्हें शर्म नहीं लागे। वह जेठ है तुम्हारे, पंडित जी नहीं मैंने कहा पति कौन से हैं यह भी बता दीजिए? इतने बड़े परिवार में कौन किसका क्या है समझा दीजिए, जिससे आगे ना हो गलती और मैं खिचड़ी की रस्मे निभाने चली।
नीता चतुर्वेदी
विदिशा मध्य प्रदेश
0 टिप्पणियाँ