फास्‍ट फूड-ज्‍योति रतन

फास्‍ट फूड पर विशेष
आम तौर पर  फास्ट फ़ूड का तात्पर्य यही होता है की फास्ट =जल्दी,फ़ूड खाना ,जल्दी खाना जो बन जाये ।भारतीय रसोई मे बहुत से ऐसे खाने खाये जाते है जो भारत का फास्ट फ़ूड है और स्वस्थ्य वर्धक भी होते है ।जैसे = जौ , चने का सत्तू ,जिसे गुड के साथ पानी मे घोल कर  आटे के साथ मिला कर अनेको  व्यंजन बना सकते है । जबकी फास्ट  फूड  आमतौर पर विश्व मे  चिप्स, कैंडी, कुर्कुरे  जैसे अल्पाहार को कहा जाता है। बर्गर, पिज्जा जैसे तले-भुने फास्ट फूड को जंक फूड की संज्ञा दी जाती है ।  मेरा मानना है की पारंपरिक विधि से तैयार होने वाले  खाद्य पदार्थ पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। एंडोक्राइनोलॉजी  गैस्ट्रोएंट्रोलाजी जैसे बिभागो की रिसर्च के अनुसार  कि, फास्ट फ़ूड मे  अत्यधिक कार्बोहाइड्रेट, वसा और शर्करा होती है। बर्गर में १५०-२००, पिज्जा में ३००, शीतल पेय में २०० और पेस्ट्री, केक में करीब १२० किलो कैलोरी होती है जो आजकल लोगों पर मोटापे के रूप में हावी हो रहा है। यह भी कहा गया है कि गर्भावस्था में गलत खानपान से आने वाले बच्चे को आजीवन मोटापे, हाई कोलेस्ट्रॉल व ब्लड शुगर का खतरा हो सकता है। इंग्लैंड में रॉयल वेटेनरी कॉलेज की शोधकर्त्ताओं की टीम ने  कुछ लोगो पर अध्य्यन किया ।  और बताया  फास्ट फ़ूड कोलेस्ट्रॉल और वसा दोनों ही चीजें हृदय रोग को बढ़ा देती हैं।  टाइप-2 मधुमेह के खतरे को बढ़ाते हैं। ऐसी माताओं के बच्चे बड़े होने पर भी मोटापे से ग्रस्त रहे। [2] फास्ट फ़ूड  के सेवन से  मोटापा और महिलाओं में हारमोन की कमी हो जाती है जिससे वे बांझपन की शिकार हो सकती हैं।  आलू के चिप्स खा लेने में कोई बुराई नहीं, लेकिन पूरी तरह फास्ट फूड पर निर्भर होने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। ।      


 


ज्योती किरन रतन



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