ईश्वर की सौगात है
जो इसे सहेजता
उसका चित्त खिला है
वह झोली भर लेता
प्रकृति अनुपम शक्ति है
मानव जो कुछ देता हैं
उसका चौगुना पा जाता
धरनी के स्नेह संग हैं
अपना एश्वर्य लूटाता
प्रकृति की शक्ति है
नदी तालाब झरने हैं
जिस पर पर्वत इठलाता
सागर ने बाँहे फैलाई हैं
प्रेम से सबको पुकारता
प्रकृति की अनुपम शोभा है
बादल बरसते है
दृश्य मूखर हो उठता
बहलाती प्रकृति हैं
सावन भी महकता
प्रकृति की अनूठी शक्ति हैं
प्राणी जगत स्थित है
शाश्वत सत्य जो समझता
प्रकृति मे प्राणी है
प्राणी में प्रकृति हैं
ये ही घनिष्ठता हैं।
प्रकृति का असीम प्यार है
अमिता मराठे
इन्दौर
मप्र
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