वृक्षारोपण करें, प्रकृति से न छेड़छाड़ करें,
मित्र बनें प्रकृति के तनिक न राड़ करें।
प्रेम प्रसूनों से अलंकृत हो जीवन उद्यान,
सदन में सुगन्धित हों आत्मीयता के बागान।
आगामी पीढ़ी की राह में खड़ा न पहाड़ करें।
वृक्षारोपण करें, प्रकृति से न छेड़छाड़ करें।
प्रकृति की सेवा करें उद्यमरूपी जल से,
सौंदर्य बढ़ायें जीवन का श्रम रूपी कमल से,
सहेज कर रखें प्रकृति, आओ इसके लाड़ करें।
वृक्षारोपण करें, प्रकृति से न छेड़छाड़ करें।
प्रीति चौधरी (मनोरमा)
जनपद बुलन्दशहर
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