सासुमां नवरात्रि का कठिन व्रत कर रही है,दिनभर पूजा- पाठ करती देवी माँ से यही विनती करती-"मेरे बेटे जैसे ही पोता देना "।आज अष्टमी का हवन व कन्या पूजन है ,मुहल्ले भर की कन्याएँ आमंत्रित हैं खीर-पुड़ी और चने की सब्जी भोग के लिए घर में ही बनाई गई। जैसे ही कन्यापूजन संपन्न हुआ सासुमां ने फरमान सुना दिया-
"बहू,जांच करा लो बेटा होगा तभी जन्म देना ,बेटी नही चाहिए ।वैसे भी हमारे परिवार में पहली संतान बेटा ही हुआ है ।" बहू ने सुना तो अवाक रह गई कुछ बोलने की शक्ति ही नहीं रही मन ही मन सोचने लगी अगर सचमुच बेटी हुई तो ?सोच कर ही उसका दिल बैठा जा रहा था। अभी तो सासुमां कितने विधी-विधान से कन्यापूजन की अब उसी कन्या को घर आने के लिए रोक रही।पतिदेव के सामने रोई गिड़गिड़ाई पर वो भी नही माने उल्टा समझाने लगे-
"माँ चाहती है तो जांच कराने में हर्ज ही क्या है? "
बहुत समझाने पर बुझे मन से बहू जांच के लिए तैयार हो गई ।डॉक्टर ने जैसे ही जांच करने के बाद बताया कि गर्भ में बेटी है तो सासुमां ने सिर पिट लिया ।बेटे ने तो चुप्पी साध ली ।बहू का तो रो- रो रो कर बुरा हाल था ।सासुमां चाहती थी कि तुरंत गर्भपात कराया जाए ।डॉक्टरों ने समझाया भी कि अब देर हो गई है ऊपर से माँ कमजोर है ऐसे में गर्भपात करने से खतरा होगा।पर सासुमां अड़ी रही,हुआ भी वही जिसका डर था।गर्भपात के दौरान शरीर से बहुत खून बह गया।डॉक्टरों ने सासुमां व पतिदेव को बताया कि माँ की जान बचाने के लिए बच्चेदानी को हमेशा के लिए निकालनी होगी तब बड़े बोझिल मन से दोनों ने हामी भरी ।सासुमां की जिद के कारण आज कन्या पूजन के दिन ही बहू की गोद हमेशा के लिए सूनी हो गई ।
"सच भी है जब भी कोई प्रकृति के विरुद्ध जाकर अपने स्वार्थ के लिए गलत करने लगता है तो उसे प्रकृति अपनी शक्ति दिखाती जरूर है । "
सीमा निगम
रायपुर
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