प्रिया-रीता जयहिंद

प्रिया अपने घर में सबसे छोटी थी। तीन भाइयों के बाद बेटी के जन्म पर दादी और माता-पिता सभी बहुत प्रसन्न थे कि घर में लक्ष्मी का आगमन हुआ साथ में दादी ये भी कहती कि चलो अच्छा हुआ कन्या हुई तो बेटों को नजर भी नहीं लगेगी।
प्रिया घर में छोटी और इकलौती बिटिया होने की वजह से सबकी चहेती थी।
जैसे-जैसे प्रिया बड़ी होने लगी स्कूल जाने लगी ,"पढाई में प्रिया बहुत कुशाग्रबुद्धि और मेधावी थी, हमेशा अव्वल आती थी सभी भाई पढाई पूरी करके पिता के साथ व्यवसाय करने लगे थे दो भाइयों का विवाह हो गया था पर प्रिया अभी और पढ़ाई करना चाहती थी। 
प्रिया ने पिताजी को अपनी मिलिट्री की ट्रेनिंग की इच्छा जताई पर माता-पिता ने उसको मिलिट्री में जाने की इजाज़त नहीं दी जिससे प्रिया उदास रहने लगी और उसका फूल सा चेहरा कुछ ही दिनों में मुरझाया सा लगने लगा।
माता-पिता ने उसे बहुत समझाया कि डॉक्टर ,लाॅ, या टीचर की ट्रेनिंग कर लो पर उसने पिता जी से पूछा कि मिलिट्री की ट्रेनिंग से आप क्यों मना कर रहे हो?पिताजी ने कहा हमारी इकलौती बेटी हमें बहुत प्रिय है हम तुम्हें खोना नहीं चाहते इस पर प्रिया ने कहा कि एक दिन तो सबको मरना होता है आप नेगेटिव क्यों सोचते हैं?यदि देशसेना करते हुए शहादत भी पा लूँ तो भी मेरे लिए फख्र की बात होगी।
उसने पिताजी से मुखातिब होकर कहा देश में अनेक बेसहारा , विधवा, निर्धन कन्याएं हैं यदि हम उनके लिए नहीं सोचेंगे तो कौन देखेगा?
 प्रिया ने घर में सबको मना लिया।प्रिया ट्रेनिंग के लिए चली गई और कुछ सालों में मिलिट्री की ट्रेनिंग कम्पलीट कर ली।
प्रिया का अपाॅयमेंट लैटर आ गया था अब उसे सेना में नौकरी के लिए जाना था और प्रिया सही दिन अपने गंतव्य स्थान अपना मकसद पूरा करने को चली गई जो सपने उसने देशसेवा के संजोकर रखे थे उसे निष्ठापूर्वक से करते हुए तरक्की करती चली गयी और वहीं अपने साथ ही सेना के एक आॅफिसर के साथ उसके विचार, लक्ष्य तथा  देशसेना का जज्बा सभी मिलने लगे और प्रिया और वो आॅफिसर एक दूसरे को पसंद करने लगे। 
इस बार की छुट्टी में जब प्रिया घर गई तो उसने अपने माता-पिता को बताया कि मेंने अपने जीवनसाथी को चुन लिया है मिता-पिता से आशीर्वाद लेकर दौनों के घरों से इजाज़त मिलने पर विवाह कर लिया।
अब विवाहबंधन मे बंधकर दौनों अपनी ड्यूटी पर अपना फर्ज़  निभाने के लिए चले गए।
जयहिंद जयभारत वंदेमातरम्
रीता जयहिन्द



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