पुस्तक दिवस पर विशेष
अनवरत
ज्ञान का हो भंडार
पुस्तक तुम
बुद्धिहीन को
मार्गदर्शिका बन
जीना सिखाती
नैराश्यता में
लङना सिखाती हो
ज्ञानपुंज सी
सुदृढ मन
ज्ञान प्राप्त करके
आगे बढता
कभी न खोए
वह ज्ञान प्रदाता
किताब तू है ।
तम मिटाती
उजियारा फैलाती
अंधे की लाठी ।
तुम्हें पढके
जीत जाते जंग को
ज्ञानदायिनी।
प्रेरणा देना
सदा काम तुम्हारा
बुद्धि प्रदाता ।
मन लगाता जो
सदा तुम्हारे में ही
होता कल्याण ।
सिखाती हमें
कलम से लङना
वीर योद्धा सी ।
शारदा मिश्रा
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