एक गाँव था वहाँ एक परिवार हँसी खुशी और सम्पन्नता से अपने परिवार का पालन पोषण कर रहा था कुछ वर्ष बीते कि मुखिया अस्वस्थ रहने लगा उसके तकलीफ को देखते हुए पूरा परिवार दुखी रहने लगा , डॉक्टर दवाइयों का सिलसिला चलने लगा ,एक दिन मुखिया का स्वास्थ्य अचानक ज़्यादा बिगड़ गया, जिससे उसे डॉक्टर को फिर दिखाया गया , इलाज में अधिक धनराशि का खर्च था ,कुछ परेशानियों के चलते उसके पास कोई पूँजी न बची थी जिससे वो इलाज करा सकता ,किसी तरह रिण कर्जा लेकर उसने अपना इलाज करवाया जिससे उसको एक नया जीवन मिला ,पर रिण की राशि न चुका पाने के कारण अब भी परिवार दुखी ही रहता ,बहुत कोशिशों के बाद जब वो कर्ज चुकाने के काबिल हुआ अब जो बात मुखिया ने कही वो ह्रदयस्पर्शी थी
जो कर्ज धन आपने मुझे दिया वो तो मैं आपको पुनः वापस कर सकता हूँ ये चुकाने योग्य है पर जिस धन ने मुझे यह जीवन दान दिया है , वो मैं कभी न अदा कर पाउँगा ,आप का निःस्वार्थ सहयोग किया और जो अपना कीमती वक्त हमारे लिये दिया मैं वो कर्ज कभी न चुका पाउँगा ,जो मैं आपके सामने हूँ ये जीवन आपका ही दिया हुआ है ,डॉक्टरों ने तो इलाज किया है वो तो भगवान स्वरूप हैं ही मेरे लिये ,पर यदि आपने मेरा सहयोग न किया होता तो मुझे ये नया जीवन न मिला होता मैं आपके द्वारा दी गई धनराशि तो अदा कर सकता हूँ पर विपरीत परिस्थितियों में मेरे लिये जो आपका योगदान था जिस धनराशि से मुझे जीवन दान मिला है उस कर्ज को मैं कभी न चुका पाऊँगा
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सिम्पल काव्यधारा
प्रयागपाज
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