एक दिन आपका में निशा नंदनी
नव कोंपल मचल रही है
मधुमास का मौसम आया
वृक्षों पर किंशुक मुस्काया।
नव कोंपल मचल रही हैं
उत्पत्ति को डोल रही हैं।
नव प्रभात की नव सौगात में
नव बयार संग आँखमिचौनी
ठेल रही बूढ़े पल्लव को
नव पल्लव की नव वाहिनी।
समीर संग करतल ध्वनि दे
पर्ण सेना अब खेल रही है।
उत्पत्ति को डोल रही है।।
खग कुल की सेना अब देखो
धूम मचाये नगर- नगर
झुंड बना समूहों में खेले
सरपट भागे इधर- उधर।
मधुमास की मधुर सुगंध में
मकरंद बेल अब फैल रही है।
उत्पत्ति को डोल रही है।।
चिड़िया चहक रही पेड़ों पर
मैना गुपचुप बोल रही है।
श्वेत पंख में वक सेना तो
उड़ रही स्वच्छ आकाश में
मिलन की अद्भुत बेला में
सृष्टि सारी उछल रही है।
उत्पत्ति को डोल रही है।।
खिले नभ की खिली छटा में
रंग बिरंगे पुष्प खिले हैं।
दूर क्षितिज पर दृष्टिगोचर
मिलन धरती आकाश का
संग सतरंगी तितलियों के
भ्रमर सेना मंडरा रही है।
उत्पत्ति को डोल रही है।।
निशा नंदिनी
तिनसुकिया
,असम
9435533394
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