सपना- कविता

सपना कार्यक्रम के तहत


 


सपनों को तुम आज
अदद पंख दे दो,
अंतहीन आकाश में
एक अंक दे दो
इन सपनों का महल
ऐसा एक बनाओ
सोने सी आशाएँ हों
चांदी जैसा मन
क्षुधा प्रेम की बनी रहे
ऐसे हों निर्धन
माणिक मोती से सजें
इन सपनों के द्वार,
कुसुमित पुष्पों से सजे
सपनों का संसार
अंधकार को मिटा सकें जो
ज्योतिपुंज दे दो।
शीतल ममता की छाया का
हो ऐसा एक बसेरा
इंद्रधनुष के रंगों को ले
आये रोज़ सवेरा
कलुषित सपनों को 
धवल रंग दे दो
सपनों को तुम आज
अदद पंख देदो।


कविता तिवारी---




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