हर घर के आगे दीये जलाए जा रहे थे,कई तरह से रोशनी की जा रही थी,हर तरफ एक अलग तरह की सकारात्मक ऊर्जा प्रसारित हो रही थी,सब उत्सव मना रहे थे..... नीतू के घर के बिल्कुल सामने एक छोटे से घर में ना कोई दीया था ना कोई रोशनी!
नीतू को पता था वहाँ एक बुजुर्ग महिला रहती हैं, जिसका एक ही बेटा था जो की सेना का जवान था,जिसने देश के लिए सीमा पर लड़ते हुए अपने प्राण निछावर कर दिए थे।
राधा नाम की यह बुजुर्ग महिला हर सुबह शबरी की तरह अपने राम का रास्ता देखती थी,कोई नहीं था सहारा देने को,सरकार द्वारा मिली पेंशन राशि से जैसे तैसे दिन काटती थी। हर तरफ रोशनी के बीच एक घर मे अँधियारे में देखकर नीतू से रहा नहीं गया उसने अपनी थाली में पाँच दीये और रखे और चल पड़ी एक शहीद की दहली को रोशन करने....
ज्योति शर्मा
जयपुर राजस्थान
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