स्‍वास्‍थ का दुश्‍मन-नीता

फास्ट फूड स्वास्थ्य का मित्र या दुश्मन, परिचर्चा



                अगर आप कहते हैं आप और आपका परिवार हमेशा चुस्त-दुरुस्त रहे तो हम सही खानपान के अलावा शाकाहारी रहे और फास्ट फूड से दूर रहें। बदलती जीवनशैली के चलते आज चाहे परिवार में बच्चे हो या माता-पिता कोई भी सदस्य हर कोई अधिक कार्य की वजह से तनाव थकान कमजोरी महसूस करता है यही नहीं नई-नई बीमारियां भी हो रही है कारण हम सभी जानते हैं विषैला वातावरण मिलावटी मसाले खाद्य पदार्थ प्रकृति से दूरी और तकनीकी उपकरणों से पकाया हुआ भोजन माइक्रोवेव जिसमें फास्ट फूड ज्यादा बनता है और खाने को बार-बार गर्म किया जाता है जिससे खाने की गुणवत्ता नष्ट होती है मौसम बदला नहीं कि हम सभी बीमार होने लगते हैं हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता फास्ट फूड खाने से कमजोर हो जाती है फास्ट फूड दोस्त कम दुश्मन ज्यादा है आधुनिक जीवन शैली के साथ फास्ट फूड खाना ज्यादा चलन में आ गया है फास्ट फूड में पिज़्ज़ा बर्गर में की चिप्स नूडल्स कोल्ड ड्रिंक्स मैदे से बनी चीजें आदि अधिक इस्तेमाल होती है जितने खाने में वह अच्छे लगते हैं उतने ही वह नुकसानदायक रहते हैं और जितना जल्दी बन जाते हैं उतनी ही जल्दी हम बीमार भी पढ़ते हैं फास्ट फूड देरी से पचतेहैं और पेट में गैस भी बनाते हैं अतः फास्ट फूड मित्र नहीं हमारे पक्के दुश्मन बन चुके हैं शरीर को आंतरिक मजबूती के लिए विटामिन मिनरल्स से भरपूर खाना अपनी जीवनशैली में लाना बेहद जरूरी है आजकल बहुत कम शुद्ध चीजें बाजारों में मिलती हैहमें सचेत रहने की जरूरत है हमें अपने बच्चों में भी आज से ही अभी से सही जीवन शैली खानपान सिखाने की जरूरत है अतः अंदर और बाहर दोनों रूप से स्वस्थ रहने की जरूरत है 
लॉक डाउन के दौरान 90% वातावरण शुद्ध हुआ है इस दौरान घर में रहकर सभी ने घर का खाना खाया और सोचने वाली बात है कि कोई भी इतने दिनों घर में रहकर बीमार नहीं हुआ कारण क्‍या है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि फास्‍ट फूड स्‍वास्‍थ और समाज दोनो का दुश्‍मन है।
नीता चतुर्वेदी


विदिशा मध्‍यप्रदेश



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