*टूटे चश्में से* अखंड गहमरी
कोरोना जी सादर प्रणाम। आज जो मैं लिखने जा रहा हूँ वो आपके जाने के बाद ही नहीं जब तक धरती रहेगी तब तक पढ़ा जायेगा। सोचने पर मजबूर करेगा। मैं आपको बधाई और धन्यवाद देता हूँ जो आप ने धर्मनिरपेक्ष लोगो , हिंदू-मुसलिम भाई भाई कहने वालों के मुहँ पर ऐसा तमाचा मारा है, जिसकी आवाज और गूँज का जिक्र कर्मा फिल्म में दादा ठाकुर के मारे थप्पड़ पर डाक्टर डैन ने किया था । आपके द्वारा मारे गये तमाचे का असर धर्मनिरपेक्ष ताकतें जन्मजन्मांतर तक याद रखेंगीं। उनके गालों की लाली नहीं जायेगी। परन्तु जिस प्रकार यह अखंड गहमरी अपने वाइफ होम के चरण-पादुका के प्रयोग से गालो और पीठ पर पड़ी लाली को बहाने की चादर का आड़ ले बेसर पैर के दलीलो में छुपाता है, यह ताकते भी आपके द्वारा मारे गये तमाचे की लाली को छुपाने का प्रयास करेगी, दलीले देगीं।
यह दलीलें कितनी उनके आत्मा से निकलेगीं और कितनी उनके गले से यह तो वह खुद समझते होगें मगर मैं दावे के साथ कहता हूँ कि सच वो नहीं होगा जो वह कह रहे होगें। आज पूरा भारत आप से नहीं लड़ रहा। कोरोना जी मैं डंके की चोट पर पहले भी कह चुका हूँ और आज फिर कहता हूँ कि मेरे देश की मिट्टी, मेरे देश की मिट्टी से जुड़े चिकित्सक, मेरे देश का आधात्म और मेरे देश के आयुर्वेद से लड़ कर जीत जाने की औकात आपकी नहीं थी। आपकी इतनी हैसियत नहीं थी कि हमारे देश की गलियों में प्रवेश कर जिंदा रह जाते क्योंकि हम चाइना, इटली, अमेरिका नहीं। हम तो वह हैं, हमारी प्रतिरोधक क्षमता तो वह है कि 7 सितारा होटलों में खाते,फाइलों और कम्प्यूटर के बीच उलक्षते, एसी में जिंदगी बसर करते और बंद लंम्बी गाड़ीयों में घूमते जब गाँव की सरहद में पहुँचे खेतो की मिट्टी को माथे से लगाते हाथ में कुदाल ले उतर जाते हैं. और वही पर रूखा सूखा खा कर लम्बी डकार ओ.....अ....म करते है। ऐसे भारतवासीओं का आप कुछ न कर पाते। परन्तु आपके साथ वह आये जो खाने की थाली में छेद करना ही अपना फर्ज समझते हैं। भारत की बर्बादी का तरीका खोजते हैं, ऐसे आस्तीन के साँपो ने आपका साथ देकर हमें हराने की पूरी साजिश रच दी। कोरोना जी मगर आप शायद भूल गये, हिन्दुस्तान को बर्बाद करने आज पहली बार आप महजिदो से नहीं निकल रहे आप के पहले भी महजिदो से बंदूक और बम भारत को नेस्तनाबूद करने की चाह में निकल चुकी है। ये पहले भी भारत विरोधी ताकतों का साथ देते हुए हर प्रकार का कृत्य कर चुके हैं मगर देखीये हमारे देश के धर्मनिरपेक्ष ताकतो की चालाकी जो अपने स्वार्थ के रंग में रंग कर इनको बचाने में लग जा रहे थे, पर आज जब सीधे तौर जिंदगी और मौत के बीच की दूरी सिमट कर रह गई है कौन क्या कहेगा? कौन कैसे सफाई देगा मैं नहीं जानता।
कोरोना जी मैं तो बस इतना जानता हूँ कि आज जो देश काँप गया है उसके लिए कोरोना कम मौलाना जिम्मेदार है।.पूरे देश में मंदिर, गुरूद्वारा बंद हैं। रामनवमी जैसा त्यौहार आ कर चला गया, हमारी सदियों से चली आ रही परम्पराओं ने, हमारे मंदिरो में बैठी माँ भगवती ने की पूजा पद्धति को रोकते हमें आदेशित किया कि मेरे बच्चों मैं दस रात भूखी रह सकती हूँ मगर तुम्हें तड़पता मरता नहीं। घर में रहो। मगर इन महजिदो ने , इन मौलानाओ ने क्या किया? आपने देखा। कितने मुसलमानों ने अपने महजिदो और मौलानों के इस कृत्य का विरोध किया आपने देखा ही होगा? शायद एक प्रतिशत भी नहीं। कोरोना जी आज अखंड गहमरी जल रहा है तो इस लिए कि लिखने के सिवा कुछ कर नही सकता और यह लिखा भी पढ़ कर धर्मनिरपेक्ष तो होगें ही हमारे अपने लोग भी भैवें टेरी कर लेगें। चश्मा टूट गया है, टूटे चश्में से और क्या लिखूँ बस यही कह कर आप से विदा ले रहा हूँ, कि जब तक भारत में मुसलमानों को मसीहा के रूप में देखा जायेगा आप जैसे देश के दुश्मन स्वस्थ, प्रसन्न, मस्त रहेगें मेरे देश और देशवासियों को बर्बाद करते रहेगें, चाहे शासन प्रशासन और यह अशिक्षित बद्तमीज अखंड गहमरी कितना भी जोर लगा लें, चाहे कुछ भी कर ले।
न वो इसे रोक पायेगा और ना तो यह समझ पायेगा कि आखिरकार देश में मुसलमानों का विरोध करने पर हमारे देश के लोगो को किस प्रकार का रोग हो जाया है, किस प्रकार उनकी समाजिक और आर्थिक हैसियत में अंतर पड़ता है? क्यों लगाते है लोग मुसलमानों का तेल? क्यों दिखाते हैं खुद को धर्मनिरपेक्ष? क्या वो तब ही सुधरेगें मुस्लमान उनका ही घर जलायेगें? यदि ऐसा है तो बस कोरोना जी आपका साथ देकर अल्लाह के फ़जल से हमारे देश के शांतिदूतों ने यह काम शुरू कर दिया है। अब देखना है कि उनकी इस आग में केवल अखंड गहमरी जैसे धर्मनिरपेक्षता के विरोधी लोग जलते है या मेरी तीसरी पूर्वप्रेमिका मजगमिनियाँ भी जलती है।
,जय गहमर, जय वाइफ होम, जय पूर्व प्रेमिका गजगमिनियाँ।
*अखंड गहमरी* टूटे चश्मे से।
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