वतन-कंचन

 


ए मेरे वतन के फौजी
तू फूंक-फूंक कर कदम रखना
आ रहे हैं दुश्मन के तरफ से तोप के गोले
तू अपना फौलाद का सीना रखना
तू अपनी फिक्र छोड़ देश की फिक्र कर
तेरे सर पर तो लाखों माओं का हाथ है
ए मेरे वतन के फौजी
तू फूंक-फूंक कर कदम रखना
मिल जाएंगे तुझको
तेरे बीच में बैठे घर के भेदी
बाज की नजर रखकर
हर एक को परखना
दुश्मन का सीना फाड़
तिरंगे को लहराना है
तेरा शरीर भले ही थक जाए
पर तू अपने हौसले बुलंद रखना
धरती का पहरेदार बन कर
सरहद पर खड़े रहना
ए मेरे वतन के फौजी
तू फूंक-फूंक कर कदम रखना


कंचन जायसवाल


 



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