वतन- संगीता

बिना कहे जो कह जाते सब कुछ
यह अंदाज उनका निराला है


बिना बताए समझ जाते हैं सारी बातें
रिश्ता हमारा इतना पुराना है


रहकर दूर हमसे बहुत
अपना सारा फर्ज निभाते हैं


सुलझा ते सारी मन की उलझन
परदेस में रहकर साथ निभाते हैं


अब तो हो जाती  रोज बातें
तब भी मन विचलित है रहता


तब हफ्ते में आता था खत एक
तब तो एक-एक दिन मुश्किल से था कटता


बिना कसूर के जो सब सह जाते
फौजियों का है यह व्यवहार निराला है


छेड़े जब दुश्मन अपनी आन बान और शान को
तो देश के ऊपर मर मिट जाते हैं


जय हिंद
नाम     संगीता शर्मा      मेरठ



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