हम जिसको भी चाहा, दिलों जान से।
ना मालूम था मुझको, मुकर जायेंगे।।
जब नैना लडी , उनके ही नैन से।
मन कहने लगा, दिल सवर जायेगे।।
अब तो आँखो मे उनको बसाया हू मै।
दिल के सपना हम दिल मे सजाया हू मै।।
क्यो तू असरा धरा कर, चल दी सनम।।
मेरे बागो की कलिया,जहर बन जायेगे ।
मै तुम से ही दिल को लगा बैठा हू।
प्यार के बस मे अपना बना बैठा हू।।
दिल धडकता ही रहता तुम्हारे प्यार मे।
छोड़ कर हमको क्या तुम शहर जायेगे ।।
चोट खाकर मोहब्बत मे,जी ना सके।
कैसे पी लू जहर अब तो पी ना सके।।
क्या किया मै खता हमको ना है पता ।
अब 'उपेंद्र अजनबी' किधर जायेगे।
उपेंद्र अजनबी
सेवराई गाजीपुर
मो-7985797683
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